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U-19 World Cup पर फतह हासिल करने वाली उन बेटियों को सलाम, कप्तान Parshvi Chopra ने Cricket के लिये उठाया था ये कदम..

पार्श्वि चोपड़ा के दादा जोनल के लिए खेल चुके हैं, जबकि मैं और मेरा भाई यानी पार्श्वि के चाचा क्लब क्रिकेट खेल चुके हैं. इस दौरान पार्श्वि चोपड़ा (Parshvi Chopra) की मां शीतल चोपड़ा (sheetal Chopra) ने बताया कि ये हमारे परिवार के लिए भावुक पल है.

पार्श्वि चोपड़ा (Parshvi Chopra) मूलरूप से बुलंदशहर (Bulandshahr) के सिकन्दराबाद (sikandrabad) की रहने वाली हैं. इन दिनों उनके घर पर तमाम रिश्तेदार पहुंच रहे हैं. और बधाई दे रहे हैं. पार्श्वि चोपड़ा  के पिता गौरव चोपड़ा ने कहा कि क्रिकेट हमारे खून में है. पार्श्वि चोपड़ा के दादा जोनल के लिए खेल चुके हैं, जबकि मैं और मेरा भाई यानी पार्श्वि के चाचा क्लब क्रिकेट खेल चुके हैं. इस दौरान पार्श्वि चोपड़ा (Parshvi Chopra) की मां शीतल चोपड़ा (sheetal Chopra) ने बताया कि ये हमारे परिवार के लिए भावुक पल है. भारत (India) की स्पिन गेंदबाज (spin boller) पार्श्वी चोपड़ा (Parshvi Chopra) ने देश को वर्ल्ड चैंपियन (World champion) बनाने में अहम रोल निभाया. उन्होंने 6 मैचों में 11 विकेट लिए.

पार्श्वी चोपड़ा ने क्रिकेट के लिए छोड़ा अपना प्यार

अंडर 19 (Under-19) महिला T-20 वर्ल्ड कप (World Cup) में पार्श्वी चोपड़ा (Parshvi Chopra) ने अपनी घातक गेंदबाजी से अपने विरोधियों को जमकर छकाया. केवल 6 मैच में उन्होंने 11 विकेट झटके और टूर्नामेंट (Tournament) में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में सेकेंड नंबर पर रहीं. टीम इंडिया (Team India) को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में पार्श्वी चोपड़ा की लहराती गेंदों का अहम रोल रहा. क्रिकेट (cricket) के मैदान पर मिली इसी कामयाबी के लिए पार्श्वी चोपड़ा को काफी कुछ छोड़ना पड़ा जिसमें उनका पहला प्यार भी शामिल है.पार्श्वी चोपड़ा अपने परिवार में इकलौती लड़की हैं और उन्होंने वो कामयाबी हासिल की जो कि उनके परिवार में कोई और नहीं कर पाया. बेटी की कामयाबी ने पूरे खानदान को जश्न मनाने का मौका दिया है. पार्श्वी चोपड़ा  के पिता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है पार्श्वी ने अपने खेल से देश को वर्ल्ड चैंपियन बनाया है.

ICC U19

Parshvi Chopra को छोड़ना पड़ा पहला प्यार

पार्श्वी चोपड़ा  को क्रिकेट खेल (cricket game) विरासत में मिला है. उनके परिवार में कई लोग क्रिकेट से जुड़े हुए थे. उनके पिता, दादा और चाचा भी क्रिकेटर (क्रिकेटर)थे लेकिन पार्श्वी (Parshvi)का पहला प्यार क्रिकेट नहीं था. उन्हें स्केटिंग(Skating) करना पसंद था. उन्होंने स्कूल के दिनों में स्केटिंग में कई मेडल और अवॉर्ड भी जीते. हालांकि उनके पिता गौरव चोपड़ा(Gaurav Chopra) चाहते थे बेटी भी क्रिकेटर ही बने . पिता की जिद के लिए पार्श्वी चोपड़ा को अपने पहले प्यार स्केटिंग (Skating) को अलविदा कहना पड़ा लेकिन एक बार जब वो क्रिकेट से जुड़ीं तो बाकी सबकुछ भूल गईं.

चोट खाकर भी चटकाए विकेट

पार्श्वी चोपड़ा ने क्रिकेट अकेडमी (Cricket Academy) में ट्रेनिंग(Training) करना शुरू किया और केवल  13 साल की उम्र में उन्हें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)के लिए पहला मुकाबला खेलने का मौका मिला. उनके सफर की शुरुआत अच्छी नहीं रही. पहले ही मैच में उन्हें फील्डिंग (Fielding)करते हुए चोट लग गई. उनके होंठों से खून निकल रहा था वो काफी सूज गया था. कोच (Coach)ने पार्श्वी चोपड़ा  को बेंच पर बैठने को कहा लेकिन वो नहीं मानी. मैच खेलने उतरी. इस मुकाबले में उन्होंने तीन विकेट झटके थे. यहीं से पार्श्वी चोपड़ा के पिता को विश्वास हो गया था कि बेटी एक दिन कुछ कमाल करेगी और ऐसा ही हुआ. पार्श्वी (Parshvi) के हाथों में वर्ल्ड कप (World Cup)की ट्रॉफी (Trophy) देखकर उनके परिवार के आंखों में आंसू थे लेकिन वो जानते हैं कि ये तो उनके बेटी के सफर की सिर्फ शुरुआत है.

खुशी में तोड़ दी घर में रखी मेज

पार्श्वी ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) की प्लुमेरिया गार्डन एस्टेट ( Piumeria Garden Estate) सोसाइटी में रहती हैं. इंग्लैंड( England) के साथ फाइनल मैच को लेकर परिजनों ने सुबह से ही तैयारी कर ली थी. पड़ोसियों के साथ आगरा (Agra)  मेरठ (Meerut) से रिश्तेदार फाइनल देखने ग्रेटर नोएडा आए थे. अमेरिका( America) में रहने वाले रिश्तेदार भी पार्श्वी (Parshi) को सपोर्ट करने ग्रेटर नोएडा आ गए थे. पिता गौरव चोपड़ा ने बताया कि घर पर करीब 50 लोगों ने एक साथ बैठकर मैच देखा.

Prachi Chaudhary

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