Hemkund Ropeway: हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को मिली रफ्तार, प्रशासन ने तेज की तैयारी
पर्वतमाला योजना के तहत शुरू की गई 12.4 किलोमीटर लंबी हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना का उद्देश्य तीर्थ यात्रा को आसान बनाना और उत्तराखंड के चमोली में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
Hemkund Ropeway: उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित पवित्र सिख तीर्थ हेमकुंड साहिब तक की यात्रा को आसान और तेज़ बनाने के लिए केंद्र सरकार की पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक प्रस्तावित 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे योजना पर कार्य प्रारंभ हो गया है। इस दिशा में 15 मई को ज़िलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें भूमि अधिग्रहण और सामाजिक-अर्थिक पहलुओं पर मंथन हुआ।
भूमि अधिग्रहण और सामाजिक प्रभावों पर होगा आकलन
ज़िलाधिकारी संदीप तिवारी ने बैठक में बताया कि परियोजना को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) और नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) के सहयोग से क्रियान्वित किया जाएगा। रोपवे निर्माण के लिए आवश्यक भूमि की पहचान की जा रही है, और एनएचएलएमएल की ओर से इस विषय पर एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी गई।
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ज़िलाधिकारी ने निर्माण एजेंसी को निर्देशित किया कि परियोजना से स्थानीय समुदायों और पर्यावरण पर होने वाले संभावित प्रभावों का वैज्ञानिक तरीके से मूल्यांकन किया जाए। इसके लिए सामाजिक और पारिस्थितिक प्रभाव अध्ययन (SIA और EIA) तैयार करने की बात कही गई ताकि आगे की प्रक्रिया पारदर्शी हो सके।
एक घंटे में पहुंचेगा तीर्थयात्री हेमकुंड
बैठक में मौजूद रोपवे विशेषज्ञ नितेश कुमार ने बताया कि यह रोपवे अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित होगा और इसमें कुल छह स्टेशन बनाए जाएंगे। यह प्रणाली प्रति घंटे लगभग 1100 यात्रियों को गोविंदघाट से हेमकुंड तक पहुंचाने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि इस ट्रैक का डिज़ाइन ट्रैक्टेबल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और सुरक्षा के सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखा जा रहा है।
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2,730 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा प्रोजेक्ट
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹2,730.13 करोड़ है। इसे क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार माना जा रहा है। परियोजना के निर्माण से ना केवल तीर्थयात्रा को गति मिलेगी बल्कि पर्यटन, स्थानीय व्यवसाय और रोजगार के नए अवसर भी जन्म लेंगे।
पैदल यात्रा से मुक्ति मिलेगी श्रद्धालुओं को
वर्तमान में श्रद्धालुओं को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए लगभग 18 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करनी होती है। ऊंचाई और मौसम की वजह से यह यात्रा कई बार कठिन हो जाती है। लेकिन रोपवे निर्माण के बाद यह दूरी लगभग 60 मिनट में तय की जा सकेगी, जिससे बुजुर्गों और अशक्त श्रद्धालुओं को विशेष राहत मिलेगी।
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स्थानीय रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
रोपवे परियोजना के शुरू होने से चमोली जिले में पर्यटन गतिविधियों को जबरदस्त बल मिलेगा। होटल व्यवसाय, परिवहन, और अन्य सहायक सेवाओं में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, हेमकुंड साहिब आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है, जिससे क्षेत्र की आर्थिकी को नई दिशा मिलेगी।
हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना ना केवल एक धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण योजना है, बल्कि यह उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे और पर्यटन विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है। प्रशासन की सक्रिय भागीदारी और केंद्र सरकार की योजना के तहत, यह परियोजना जल्द ही श्रद्धालुओं की यात्रा को अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और यादगार बना देगी।
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