Atul Kumar Success: घोड़ा चलाने वाले युवक ने पास की IIT JAM, हासिल की 649वीं रैंक
रुद्रप्रयाग के वीरों देवल गांव के अतुल कुमार ने IIT JAM 2025 में 649वीं रैंक हासिल की। घोड़े-खच्चर चलाकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले अतुल अब IIT मद्रास से M.Sc करेंगे। उनकी सफलता पहाड़ के युवाओं के लिए मेहनत और लगन की प्रेरणादायक मिसाल बन गई है।
Atul Kumar Success: पहाड़ों की कठोर ज़िंदगी और सीमित संसाधनों के बीच भी अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। रुद्रप्रयाग जिले के एक छोटे से गांव वीरों देवल के रहने वाले अतुल कुमार ने अपनी मेहनत और जुझारूपन से इस बात को साबित कर दिखाया है। केदारनाथ धाम में घोड़े-खच्चर चलाने वाले इस युवा ने अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिष्ठित IIT JAM 2025 परीक्षा में 649वीं रैंक हासिल कर पहाड़ के युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल पेश की है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और संघर्ष की कहानी
अतुल का संबंध उत्तराखंड के उपतहसील बसुकेदार के वीरों देवल गांव से है। उनका परिवार वर्षों से केदारनाथ धाम में घोड़े और खच्चरों के संचालन का काम करता है, जो चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को उनकी मंज़िल तक पहुंचाने का कठिन कार्य होता है। आर्थिक तंगी के चलते अतुल ने बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की मदद करनी शुरू कर दी थी। स्कूल-कॉलेज की छुट्टियों में वह खुद घोड़े-खच्चर लेकर यात्रियों को केदारनाथ तक पहुंचाते थे।
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हर दिन 30 किलोमीटर की यात्रा, फिर भी नहीं छोड़ी पढ़ाई
चारधाम यात्रा सीजन में अतुल रोज़ाना लगभग 30 किलोमीटर पैदल चलकर घोड़े चलाते हैं। यह काम शारीरिक रूप से काफी कठिन होता है, लेकिन इसके बाद भी वह अपनी पढ़ाई के प्रति समर्पित रहे। हर दिन की थकान के बाद भी अतुल रात में 4 से 5 घंटे पढ़ाई करते थे। इसी अनुशासन और समर्पण के चलते उन्होंने IIT JAM जैसी कठिन परीक्षा को पास किया।
शिक्षा की यात्रा
अतुल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जीआईसी बसुकेदार से प्राप्त की। 10वीं और 12वीं के बाद उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से बीएससी (गणित) की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान भी उन्हें कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
IIT मद्रास से करेंगे M.Sc गणित की पढ़ाई
IIT JAM परीक्षा में सफलता मिलने के बाद अब अतुल का चयन IIT मद्रास में हुआ है, जहां वे M.Sc गणित की पढ़ाई करेंगे। यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार और पूरे गांव के लिए गर्व का विषय है। एक ऐसा युवा, जो घोड़े-खच्चर चलाते हुए पढ़ाई करता था, आज देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थानों में से एक में पढ़ाई करेगा।
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10वीं में ही तय कर लिया था लक्ष्य
अतुल ने बताया कि उन्होंने 10वीं कक्षा में ही तय कर लिया था कि वे गणित के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगे। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियां और आर्थिक स्थिति उनके रास्ते में कई बार बाधा बनीं, लेकिन उन्होंने कभी अपने लक्ष्य से नजरें नहीं हटाईं। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने अपने घर की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया।
प्रेरणा बना अतुल का संघर्ष
अतुल की सफलता न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि यदि लगन हो, तो कोई भी परिस्थिति इंसान को रोक नहीं सकती। अतुल आज पहाड़ के हजारों युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं, जो यह सोचते हैं कि कठिन हालात में भी बड़ा सपना पूरा किया जा सकता है।
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सरल जीवन, ऊंचे विचार
अतुल आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं। IIT में दाखिला मिलने के बाद भी वे अपने पुराने काम और गांव से जुड़े रहना चाहते हैं। वे आगे चलकर गणित के क्षेत्र में रिसर्च करना चाहते हैं और अपने गांव तथा राज्य के लिए कुछ बेहतर योगदान देने का सपना संजोए हुए हैं।
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