नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslims) के लिए दिल्ली-हरियाणा बार्डर स्थित गांव नानाखेड़ी( Nanakheri)में स्कूल बनाने के फैसले का भारी विरोध हो रहा है। केजरीवाल के इस निर्णय के खिलाफ आंदोलनरत नानाखेड़ी के ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला है। नानाखेड़ी के लोग स्कूल के बाहर बैठकर रोहिंग्याओं को गांव के माध्यमिक विद्यालय में बसाने के फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। नानाखेड़ी की महिलाओं ने कहा कि वे अपनी जान दें देंगी लेकिन अपने पूर्वजों की भूमि पर रोहिंग्याओं नहीं बसने देंगी।
नानाखेड़ी के ग्रामीणों ने नानकखेड़ी गांव में माध्यमिक विद्यालय के परिसर में रोहिंग्याओं के लिए आवासीय विद्यालय बनाने के फैसले को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री(CM of Delhi)अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 28 अगस्त को दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया(Manish Sisodia)ने रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चों के लिए स्कूल का उद्घाटन किया था, इसके बाद से ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों ने कहा कि अगर रोहिंग्या वहां बस जाते हैं तो वे गांव में अपराधों में संभावित वृद्धि को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एक सप्ताह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। दिल्ली सरकार ने अभी तक भले ही अपना फैसला न बदला हो लेकिन उनका हौसला कमजोर नहीं हुआ है।
आंदोलनरत गांव नानाखेड़ी की महिलाओं ने ‘न्यूज वॉच इंडिया’ (News Watch India) से बात करते हुए महिलाओं ने कहा, “चाहे 10 साल लगें या 20 साल, हम तब तक अपना विरोध जारी रखेंगे, जब तक केजरीवाल सरकार रोहिंग्याओं को वहां बसाने का अपना फैसला वापस नहीं ले लेती। हम मर जाएंगे, लेकिन रोहिंग्याओं को यहां बसने नहीं देंगे। यह जमीन हमारे पूर्वजों की है और हम इस पर केजरीवाल को रोहिंग्याओं को बसाने नहीं देंगे।”
स्थानीय निवासियों ने कहा कि हम पिछले आठ दिनों से यहां बैठे हैं, लेकिन अब तक उनके क्षेत्र के विधायक गुलाब सिंह हमारी मांगों और हमारी स्थिति जानने के लिए भी नहीं आये हैं। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता गौरव भाटिया ने पहले कहा था, “रोहिंग्या हमारे देश के लिए खतरा हैं और अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इस कदम से राष्ट्रीय सुरक्षा को दूर रख रहे हैं। रोहिंग्याओं को भारत छोड़ देना चाहिए।”
बता दें कि दिल्ली के मदनपुर खादर (Madan Khadar)में स्थित शिविर में लगभग 1,100 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं और उन सभी को बक्करवाला गांव स्थित 250 ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में स्थानांतरित किया जाना था। दिल्ली सरकार से इन फ्लैटों में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करने को कहा गया था, लेकिन बाद में मामला अटक गया। सूत्रों का दावा है कि मदनपुर खादर में रोहिंग्याओं के टेंट पर दिल्ली सरकार की ओर से फिलहाल 7 लाख रुपये खर्च किए गये हैं।