IAS Pooja Khedkar: आखिरकार पुणे पुलिस ने आईएएस पूजा खेडकर की कार अपने कब्जे में ली है। यह ऑडी कार कल रात पुलिस ने पूजा के घर से जब्त की थी। कार को ट्रैफिक विभाग के पुलिस स्टेशन में रखा गया है।
महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर लगातार विवादों में फंसती जा रही हैं। पुणे पुलिस ने अब भारतीय प्रशासनिक सेवा ( IAS) की आलीशान गाड़ी को अपने कब्जे में ले लिया है। यह वही महंगी ऑडी है, जिस पर महाराष्ट्र सरकार का प्रतीक चिह्न लगा होने के बावजूद लाल बत्ती पर गाड़ी चलाते हुए देखा गया था, जिससे हड़कंप मच गया था। पुलिस ने इस गाड़ी को जब्त कर लिया और इसे अवैध घोषित कर दिया। पुणे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) ने शहर की एक निजी कंपनी को भी इस मामले में नोटिस जारी किया है। पूजा खेडकर (34) की यहां नियुक्ति के दौरान उनके इस्तेमाल की गई ‘ऑडी’ कार इसी कंपनी के नाम से पंजीकृत है।
पूजा खेडकर हाल ही में सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी पोस्टिंग के दौरान अलग कमरा और स्टाफ की मांग करके विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी जगह बनाने के लिए ओबीसी और विकलांगता कोटे का लाभ उठाया था।
इसी ऑडी से शुरू हुआ था विवाद
पूजा खेडकर पर अपनी ऑडी पर लाल बत्ती लगाने और उस पर अवैध रूप से महाराष्ट्र सरकार का नाम लिखने का आरोप है। इस मामले के बाद उन्हें बीने ट्रेनिंग पूरी करे पुणे से वाशिम जिले में पोस्टिड कर दिया गया.
कार में लगाया गया जैमर
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक, ऑडी वाहन पर जैमर लगा हुआ है और उसके चारों ओर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। इसके अलावा, 27 जून 2012 को पुणे RTO में ऑडी कार के पंजीकृत होने के बाद से, इसके खिलाफ़ कथित यातायात उल्लंघन के लिए कुल 27,000 रुपये के 21 चालान जारी किए गए हैं। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि जुर्माना अदा कर दिया गया है।
कंपनी को नोटिस
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, “खेड़कर जिस निजी कार का इस्तेमाल लाल बत्ती और सरकारी चिह्न के अनधिकृत उपयोग के लिए कर रहे थे, उसे पिछले गुरुवार को notice जारी किया गया।” कार को जब्त कर लिया गया है, उसके दस्तावेजों की जांच की जाएगी और हम मामले की जांच कर रहे हैं।’
लाल, नीली, पीली बत्ती का क्या हैं नियम
केंद्रीय मोटर कार नियम (CMVR) 1989 की धारा 108 के मुताबिक सरकारी अधिकारियों, VIP और VVIP को सरकारी कारों पर लाल या पीली बत्ती का उपयोग करने की अनुमति है। दिसंबर 2013 में, राज्य सरकार ने बीकन का उपयोग करने के हकदार सरकारी पदों की सूची में कटौती की और सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के निर्देश पर 2014 में एक संशोधित सूची प्रकाशित की। अक्टूबर 2014 में, परिवहन आयुक्त कार्यालय ने विभिन्न विभागों को उन अधिकारियों के वाहनों पर बीकन हटाने के लिए कहा था, जो इसका उपयोग करने के हकदार नहीं हैं।
सूची में कहा गया है कि केवल उच्च पदस्थ जिला अधिकारी ही नीली बत्ती का उपयोग कर सकते हैं, और क्षेत्रीय आयुक्त, राज्य सरकार के अधिकारी, सचिव स्तर से ऊपर के पुलिस अधिकारी को ही बिना फ्लैशर के एम्बर बत्ती का इस्तेमाल करने का अधिकार हैं।