जयपुर: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नव संकल्प चिंतन शिविर के तीसरे और अंतिम दिन आखिर यह मान ही लिया कि कांग्रेस की स्थिति बहुत कमजोर है। इस स्थिति से पार्टी को उबारने के लिए उन्होने शार्टकट की बजाय कांग्रेसियों से जमीनी सतह पर जाकर पसीने बहाने का सुझाव दे डाला। राहुल ने कहा कि जनता के बीच जाकर पसीना बहाने से ही पार्टी खड़ी होगी, इसके लिए कोई शार्टकट नहीं है।
चिंतन शिविर में राहुल गांधी अपनी आदत से मजबूर भाजपा पर निशाना साधने से बाज नहीं आये। राहुल की हताशा का आलम ये था कि उन्होने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) को देश के लिए खतरा तक बता दिया। राहुल ने दलित समाज को साधने का प्रयास करते हुए कहा कि दलितों की कहीं नहीं सुनी जा रही है। पार्टी ने सभी को उचित मंच पर अपनी बात रखने का अधिकार है। सबको पार्टी के हित में सुझाव देने और अपनी बात रखने का हक़ है।
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उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल भाजपा को नहीं हरा सकते। हमारी विचारधारा की लडाई है। कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) से वैचारिक लडाई लडेगी और जितेगी भी। उन्होने भाजपा पर आरोप लगाया कि संसद में कांग्रेस सांसदों को बोलने नहीं दिया जाता और सदन से बाहर कर दिया जाता है, देश सब देखता है और जनता इसका चुनावों में जबाब देगी।
चिंतिन शिविर में गांधी परिवार के चाटुकार नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाये जाने की मांग की। इस संबंध में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में निर्णय लिया जा सकता है। बहरहाल चिंतिन शिविर में फिलहाल ऐसा कोई बडा फैसला नहीं हुआ, जिससे कांग्रेस की काला पलटने की उम्मीद की जा सके।