Pakistani citizens deportation: बैसरन आतंकी हमले के बाद भारत सरकार का बड़ा कदम, पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश
बैसरन आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया। डोडा में कई परिवारों को बिछड़ने का दर्द झेलना पड़ रहा है। सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
Pakistani citizens deportation: दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम स्थित बैसरन मैदान में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया है। इस निर्णय का असर गहराई से महसूस किया जा रहा है, खासकर उन परिवारों में जहां भारतीय नागरिकों से शादी करने वाले पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं।
डोडा जिले में परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में इस आदेश का सबसे बड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है। डोडा शहर में रहने वाले अरशद हुसैन रंगरेज का परिवार इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। अरशद की पत्नी पाकिस्तानी नागरिक हैं और सरकार द्वारा जारी निर्देशों के तहत उन्हें भारत छोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है।
अरशद के एक रिश्तेदार ने जानकारी दी कि उनके चार बच्चे हैं, जिनमें से तीन का जन्म पाकिस्तान में और एक का जन्म भारत में हुआ है। अब हालात यह बन गए हैं कि मां को तीन बच्चों के साथ पाकिस्तान लौटना होगा, जबकि पांच साल का सबसे छोटा बेटा भारत में पिता के साथ रह जाएगा। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और घर में मातम जैसा माहौल बना हुआ है।
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महिला सेल में हिरासत, फिर छोड़ा गया
अरशद की पत्नी को पहले डोडा के महिला सेल में एक रात के लिए निवारक हिरासत में रखा गया था। बाद में प्रशासन ने भारत सरकार के आदेश का पालन करने की चेतावनी के साथ उन्हें घर लौटने की अनुमति दे दी। अब तय समय सीमा के भीतर उन्हें भारत छोड़ना अनिवार्य है।
बताया गया कि इसी तरह का एक अन्य परिवार भी डोडा में इस फैसले से प्रभावित हुआ है। दोनों परिवारों ने रात में ही चुपचाप शहर छोड़ने की योजना बनाई है ताकि भावनात्मक विदाई को संभालना आसान हो सके।
बैसरन में हुआ था भीषण हमला
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने भारी हथियारों से लैस होकर हमला किया था। इस हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय घोड़ा चालक, सैयद आदिल हुसैन शाह की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस निर्मम कृत्य ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों को फिर से उजागर कर दिया था।
पाकिस्तान को दंडित करने की नीति के तहत कार्रवाई
हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप में पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए। एक बड़ा फैसला यह था कि भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए जाएं और उन्हें जल्द से जल्द देश छोड़ने का आदेश दिया जाए। इसी के तहत 27 अप्रैल तक की समयसीमा तय की गई।
इस आदेश का सबसे ज्यादा असर उन पाकिस्तानी महिलाओं पर पड़ा है जो भारतीय नागरिकों से विवाह कर भारत में रह रही थीं। अचानक आए इस फैसले ने कई परिवारों को तोड़ दिया है और कई बच्चों को अपने माता-पिता से अलग होने के दर्द का सामना करना पड़ रहा है।
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दर्द भरे विदाई के पल
डोडा शहर में रिश्तेदार और पड़ोसी, अरशद के परिवार को विदा करने के लिए इकट्ठा हुए। माहौल गमगीन था और आंसुओं के बीच मां और बच्चों की विदाई की तैयारी हो रही थी। परिवार के सदस्य इसे न सिर्फ एक कानूनी मजबूरी मान रहे हैं, बल्कि एक गहरे व्यक्तिगत नुकसान के रूप में भी देख रहे हैं।
बैसरन में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार का यह सख्त कदम राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भले ही जरूरी हो, लेकिन इससे कई निर्दोष परिवारों को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। अब सबकी नजरें इस पर हैं कि आने वाले दिनों में सरकार इस स्थिति से प्रभावित परिवारों के लिए क्या कदम उठाती है और किस तरह मानवीय संवेदनाओं का ध्यान रखा जाता है।
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