Joshimath Update: जोशीमठ में फिर बढ़ा खतरा, बद्रीनाथ हाईवे पर पानी की धार से लोगों में दहशत
Joshimath Update News: जोशीमठ का क्या होगा कौन जाने ! देश की राजनीति अपनी तेज गति से आगे बढ़ रही है। इस राजनीति में कोई समाज सेवा की कहानी नहीं है। समाज सेवा दिखाने की कहानी ज्यादा है। सभी राजनीतिक पार्टियां जोशीमठ को लेकर चिंतित जरूर दिखती है लेकिन असल में वह चिंतित होती नहीं। जोशीमठ रहे या जाए इससे उनको फर्क पड़ता है ? उनकी राजनीति चलती रहे ,उनकी पकड़ जनता में बनी रहे यही है राजनीति का मूल मन्त्र। जनता असाहय होकर चिल्लाती है, प्रदर्शन भी करती है और फिर जान बचाने के लिए उसी राजनीतिक शक्तियों के सामने नतमस्तक भी होती है। आश्वासन मिलता है लेकिन होता कुछ भी नहीं। जोशीमठ आज इसी राजनीति की शिकार है। (JoshimathNews)
जोशीमठ में बड़ा ख़तरा देखा जा सकता है। कई जगहों पर अब धरती के नीचे से पानी की धार फुट रही है। पानी के फब्बारे इतने तेज है कि जिसे रोका नहीं जा सकता। यह घटना पिछले कई दिनों से घट रही है लेकिन सरकार और प्रशासन मौन है। पिछले समय भी जेपी कंपनी के पास इसी तरह के जल रिसाव धरती के नीचे से हो रहे थे। लोगो ने जब बवाल किया तो उसे ठीक किया गया। रिसाव थोड़ा कम हुआ तो अब कई जगहों पर भारी रिसाव जारी है। अब इस रिसाव को कैसे रोका जाएगा कौन जाने ! सिंघधार और नृसिंह मंदिर के पास धरती फट सी गई है। तेजी से पानी की धार बहार निकल रही है। लोग दहशत में है लेकिन सबकुछ सामान्य होने जैसा ही है। हालत ये है कि बदरीनाथ हाई वे के किनारे अब पानी का जमाव तेज हो रहा है। आगे कही यह रास्ता बंद हो गया ,जल जमाव से भर गया तो कहानी कुछ और ही होगी। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी अब लोगो को होने लगी है। वे इतने डर गए है कि घर छोड़ने को तैयार है। आशंका है कि फटी धरती को अगर किसी तकनीक से बंद भी कर दिया गया तो तो भविष्य में ख़तरा और भी बढ़ेगा। (Uttarakhand News)
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घबराये लोग प्रशासन के पास दौर लगा रहे हैं। प्रशासन कह रहा है कि वैज्ञानिक धरती की जांच कर रहे हैं लेकिन जिस तेजधारा के साथ पानी बाहर निकल रहा है मानो पहाड़ के नीचे की धरती अब कोई बड़ा संकेत दे रही है। पिछले दिनों ही वैज्ञानिको ने आशंका जताई थी कि उत्तराखंड की धरती के नीचे तापमान बहुत बढ़ गया है। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बड़े भूकंप के आने की संभावना भी बतायी गई थी। अभी सप्ताह भर पहले ही वैज्ञानिको ने यह बात कही थी और अब पानी की तेज धार जिस गति से बाहर निकल रही है उससे लोगो की आशंका कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही है।
जोशीमठ की कहानी तो विचित्र है। यहां तो पहले से ही भू धसाव और मकानों में दरार हो रहे हैं। ऐसा कोई घर नहीं जिसके मकान नीचे नहीं धंसे हों। कोई मकान ऐसा नहीं जिसकी धरती नीच नहीं खिसकी हो। सरकार की बहुत सी टीम यहां पहुंची। जोशीमठ को ठीक करने की बात कही गई। बहुत से लोग पलायन भी कर गए। बड़ी आबादी को दूसरी सुरक्षित जगह शिफ्ट भी किया गया लेकिन अब जब धरती से पाने की धाराएं फुट रहे है इसके बड़े संकेत मिल रहे हैं। जोशीमठ की बची आबादी की नींदे हराम हो गई है। कहा जा रहा है कि लगता है कि अब यह पहाड़ बचेगा ही नहीं। और ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है। और यह भी साफ़ है कि ये समस्या केवल जोशीमठ की ही नहीं। यह तो देश को भी प्रभावित करेगी।