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जानिए महिला आरक्षण मिलने से पहले परिसीमन क्यों जरूरी है?

Women Reservation: अब इस बात की संभावना ज्यादा बढ़ गई है कि वर्षों से पेंडिंग महिला आरक्षण (Women Reservation) बिल पास हो जाएगा और देश की आबादी को उनका हक़ भी मिल जाएगा। बुधवार को लोकसभा में यह बिल पास हो गया। हालांकि इस बिल को लेकर काफी बहस भी हुई कई तरह की मांगे भी रखी गई। खासकर ओबीसी के लिए भी इस आरक्षण में सीटें निर्धारित करने की मांग की गई, विपक्ष के अधिकतर नेताओं ने इसकी मांग की। यह बात और हैं कि सत्ता पक्ष के लोग आज भले ही ओबीसी आरक्षण के मामले में चुप हैं लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में इसको लेकर फिर से विवाद खड़ा होगा और फिर से इस कानून में संशोधन की बात भी होगी।

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लोकसभा से बिल (Women Reservation) पास होने के बाद आज राज्य सभा में भी इस बिल को पेश किया गया है। अभी इस बिल पर काफी चर्चा चल रही है। लगभग सभी दलों ने महिला आरक्षण (Women Reservation) का सपोर्ट किया है। जो दल कल तक इस बिल के खिलाफ में थे आज सभी सपोर्ट में खड़े हैं। वजह है देश की बदलती राजनीति। उम्मीद की जा रही है कि आज राज्य सभा में भी यह बिल पास हो जाएगा और ऐसा हुआ तो मोदी सरकार की यह बड़ी उपलब्धि होगी। यह बात और है कि यह बिल कांग्रेस के जमाने से ही विवाद का विषय बना हुआ था। मनमोहन सिंह के समय में राज्य सभा से इस बिल को पास भी कराया गया था लेकिन तब बीजेपी समेत कई दलों ने इसका विरोध किया था। लेकिन आज बीजेपी की सरकार ही यह बिल पास करा रही है। ऐसे में इस बिल का श्रेय भी बीजेपी को ही मिल सकता है।

लेकिन मजे की बात है कि बिल पास होने के बाद भले ही तुरंत यह कानून भी बन जाए लेकिन कम से कम इस चुनाव में इस कानून का लाभ महिलाओं को नहीं मिल सकेगा। इसके लिए बिल में कई तरह की शर्तें भी लगाईं गई है। कानून को अमल में लाने के लिए जनगणना और परिसीमन की जरुरत है। वैसे भी 2026 में परिसीमन कराने की बात थी ताकि बढ़ती आबादी के साथ ही लोकसभा और विधान सभा की सीटों का इजाफा किया जाए। इसी को देखते हुए ही नए संसद भवन का निर्माण भी किया गया है।

https://x.com/INCIndia/status/1704715939277939023?s=20

महिला आरक्षण (Women Reservation) का कानून भले ही अभी बन जाए लेकिन इसकी राह में जो रोडा हैं वह परिसीमन के बाद ही ख़त्म होगा। संभव है कनून को अमल में लाने के लिए 2029 से लेकर 2034 तक भी महिलाओं को इन्तजार करना पड़े। बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि जनगणना के आंकड़ों के बाद ही परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी। यही बिल तभी लागू होगा जब ये दोनों प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

बता दें कि बढ़ती आबादी के साथ ही परिसीमन की प्रक्रिया जरुरी होती है। ताकि आबादी का सामान रूप से प्रतिनिधित्व किया जा सके और सबको अवसर भी मिले। समय-समय पर जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया चलती है ताकि निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण किया जा सके। 2021 में जनगणना होनी थी जो अभी तक नहीं हो पाई। आजाद भारत में यह पहली बार हुआ है जब दस साल पर जनगणना नहीं हुई है। सरकार कहती है कि कोविड की वजह से ऐसा नहीं हो सका। लेकिन दुनिया के अधिकतर देशों में जनगणना हो चुकी है। देश में 1971 में परिसीमन के बाद लोकसभा की संख्या 543 की गई थी और अब 2026 में परिसीमन होने की सम्भावना है।

ऐसे में जब तक परिसीमन नहीं होता महिला आरक्षण का लाभ महिलाओं को शायद नहीं मिल सके। हालांकि सरकार यह कह रही है कि बिल पास होने के बाद जल्द ही जनगणना और परिसीमन होगा लेकिन यह संभव भी नहीं है। यह दोनों प्रक्रिया काफी जटिल है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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