Raj Kapoor’s 100th Birth Anniversary: दिल्ली के लिए कुर्बान हुआ कपूर खानदान, बॉलीवुड के शो मैन का राजधानी कनेक्शन
प्रधानमंत्री मोदी और कपूर परिवार की हाल ही में हुई मुलाकात ने राजनीति और बॉलीवुड के साथ-साथ दिल्ली-मुंबई कनेक्शन को भी मजबूत किया है। राज कपूर का दिल्ली से खास नाता था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। कपूर परिवार के सभी सदस्य किसी न किसी तरह से दिल्ली से जुड़े हुए हैं।
Raj Kapoor’s 100th Birth Anniversary: इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बॉलीवुड के मशहूर कपूर खानदान के बीच मुलाकात के कई दिलचस्प वीडियो वायरल हो रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और कपूर खानदान के बीच यह मुलाकात हिंदी फिल्मों के असली ‘शोमैन’ कहे जाने वाले अभिनेता और फिल्म मेकर राज कपूर की 100वीं जयंती से पहले हुई है। रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, करीना कपूर खान, सैफ अली खान, करिश्मा कपूर, नीतू कपूर समेत पूरा कपूर खानदान पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली आया था, लेकिन कपूर खानदान का दिल्ली से पुराना रिश्ता और प्यार है। बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की 100वीं जयंती पर जानते हैं कि उन्हें दिल्ली से कितना और क्यों प्यार था।
दिल्ली में ली अंतिम सांस
यह भी एक अजीब संयोग है कि 11 फिल्मफेयर और 3 दादा साहब फाल्के पुरस्कार समेत 17 से ज्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाले राज कपूर का निधन 1988 में दिल्ली में हुआ था। दरअसल, निधन से दो दिन पहले यानी 2 मई 1988 को उन्हें सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया था। उसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई, सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया। वहां डॉ. जे. एन. पांडे की टीम ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन राज कपूर साहब अस्थमा से हार गए।
राज कपूर को रीगल और मोती सिनेमा हॉल बेहद पसंद थे
दिल्ली का पहला प्यार कनॉट प्लेस के लेखक विवेक शुक्ला बताते हैं कि राज कपूर हमेशा चाहते थे कि उनकी फिल्में रीगल या मोती सिनेमा में रिलीज हों। रीगल शायद नई दिल्ली का पहला सिनेमा हॉल था, जिसकी उनके दिल में खास जगह थी। संगम, मेरा नाम जोकर, सत्यम शिवम सुंदरम, बूट पॉलिश और जिस देश में गंगा बहती है जैसी उनकी मशहूर फिल्में रीगल और मोती सिनेमा में दिखाई गईं। राजधानी में आरके बैनर की ज्यादातर फिल्मों को दिल्ली ने अच्छा बिजनेस दिया।
राज कपूर के पिता पृथ्वीराज ने भी रीगल में नाटकों में अभिनय किया था। रीगल सिनेमा के शुरुआती दिनों में वहां अंग्रेजी और हिंदी दोनों शो होते थे। हालांकि, दुख की बात यह है कि साल 2017 में रीगल हमेशा के लिए बंद हो गया और कुछ समय बाद मोती सिनेमा पर भी ताला लग गया।
दिल्ली का पहला प्यार कनॉट प्लेस के लेखक विवेक शुक्ला याद करते हैं कि राज कपूर की दिल्ली से दोस्ती शायद 1957 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने अब दिल्ली दूर नहीं जैसी फिल्म बनाई थी। इस फिल्म की पटकथा मशहूर लेखक राजेंद्र सिंह बेदी ने लिखी थी। इस फिल्म में गायक मुकेश के करीबी रिश्तेदार अभिनेता मोतीलाल थे और दोनों ही नई सड़क के रहने वाले थे। इस फिल्म में एक और युवा अभिनेता थे, जिनका नाम था अमजद खान, जिन्होंने बाद में 1975 की बॉलीवुड क्लासिक शोले में गब्बर सिंह के किरदार में खूब शोहरत कमाई। फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं के कई सीन दरियागंज और कनॉट प्लेस, यमुना नदी पर बने पुराने लोहे के पुल पर फिल्माए गए थे।
ऐसे बना दिल्ली से रिश्ता
लेखक विवेक शुक्ला बताते हैं कि राज कपूर का दिल्ली से रिश्ता 1970 में और गहरा हुआ, जब उनकी सबसे बड़ी बेटी रितु ने एस्कॉर्ट्स ग्रुप के अध्यक्ष एच.पी.नंदा के बेटे राजन नंदा से शादी की। नंदा परिवार आजादी के बाद लाहौर से दिल्ली आया था। लाहौर में उनकी नंदा ट्रांसपोर्ट नाम की कंपनी थी। रितु दिल्ली की थीं, इसलिए वह अक्सर जोर बाग स्थित उनके घर जाते थे। इसके बाद राजन नंदा अमिताभ बच्चन के साथ रिश्ते में आए, जब उनके बेटे निखिल नंदा ने बिग बी की बेटी श्वेता बच्चन से शादी की। अब निखिल नंदा एस्कॉर्ट्स ग्रुप के अध्यक्ष हैं और एच.पी. नंदा एस्कॉर्ट्स अस्पताल के संस्थापक हैं।
पृथ्वीराज कपूर के दिल्ली के दिन
लेखक और वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला बताते हैं कि पहले इंडिया गेट के सामने वाली सड़क पर गाड़ियों के आने-जाने की आवाज़ प्रिंसेस पार्क तक सुनाई देती थी। कुछ पुराने लोगों को आज भी याद है कि पृथ्वीराज कपूर वहीं एक फ्लैट में रहते थे। यह उस समय की बात है जब पृथ्वीराज कपूर 1952 में राज्यसभा सांसद बने थे। माना जाता है कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पृथ्वीराज से संसद सदस्य बनने का अनुरोध किया था। उन्होंने कला और संस्कृति के मामलों पर भी पृथ्वीराज से सलाह ली थी। वे अक्सर सरकार के साथ कला और संस्कृति की भूमिका पर चर्चा करते थे। माना जाता है कि पृथ्वीराज कपूर ने ही नेहरू को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की स्थापना का सुझाव दिया था।
संसद सत्र के दौरान वह दिल्ली में ही रहते थे और फिर अपनी फिल्मों की शूटिंग पूरी करने के लिए मुंबई लौट आते थे। सांसद बनने से पहले उन्होंने रीगल सिनेमा में अपने थिएटर ग्रुप के साथ कई नाटकों का मंचन भी किया था। पृथ्वीराज का राज्यसभा सदस्य के तौर पर कार्यकाल 2 अप्रैल 1960 को खत्म हो गया था। इसके कुछ दिन बाद उनकी फिल्म मुगल-ए-आजम रिलीज हुई तो वह अपनी फिल्म देखने और दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने दरियागंज स्थित गोलछा सिनेमा हॉल आए थे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा बताते हैं कि पुरानी दिल्ली के डिलाइट सिनेमा हॉल में आज भी कई तस्वीरें लगी हैं, जिनमें कपूर खानदान के दिग्गज कलाकार थिएटर करते नजर आते हैं।
दिल्ली बन गई कपूर खानदान की ससुराल
कपूर खानदान की बेटी रितु कपूर के बाद राज कपूर की पोती और रणधीर कपूर की बेटी करिश्मा कपूर की शादी भी दिल्ली में ही हुई थी। करिश्मा के पति संजय कपूर दिल्ली के एक रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनका ज्वैलरी का कारोबार भी है। हालांकि करिश्मा और संजय की शादी ज्यादा दिन नहीं चल पाई। राज कपूर की एक और पोती और ऋषि कपूर की बेटी रिद्धिमा कपूर की शादी भी दिल्ली के भरत साहनी से हुई, जबकि शशि कपूर की बेटी संजना कपूर की शादी लेखक वाल्मीकि थापर से हुई है।
जब शम्मी कपूर के पास था प्लाजा
जिस तरह राज कपूर को रीगल सिनेमा बहुत पसंद था, उसी तरह उनके छोटे भाई शम्मी कपूर को कनॉट प्लेस में प्लाजा सिनेमा बहुत पसंद था। 1960 के दशक के मध्य में वे फिल्म निर्माता एफ.सी. मेहरा के साथ प्लाजा सिनेमा में भागीदार भी थे। बाद में शम्मी कपूर ने अपनी हिस्सेदारी बेच दी।
शशि कपूर का दरियागंज निवास
राज कपूर हमेशा शशि कपूर को अपना भाई नहीं बल्कि बेटा मानते थे। उनके करियर की शुरुआती फ़िल्म ‘हाउस होल्डर’ की लगभग सारी शूटिंग दरियागंज में टाइम्स हाउस के पास एक बड़े घर में हुई थी। यह घर जयदेव त्रिवेदी का था, जो एक थिएटर आर्टिस्ट और आकाशवाणी के लोकप्रिय न्यूज़ रीडर थे। ‘हाउस होल्डर’ का निर्देशन जेम्स आइवरी ने किया था और इसका निर्माण इस्माइल मर्चेंट ने किया था। 1986 में रिलीज़ हुई ‘न्यू देहली टाइम्स’ में भी शशि कपूर दिल्ली की सड़कों पर फ़िएट कार चलाते नज़र आए थे।