केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) की यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. जो अपने साथ लाए प्लास्टिक के कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं. इसके साथ ही यात्रा मार्ग पर रोजी रोटी कमाने वाले दुकानदार Plastic की प्लेटों में खाना परोसते हैं और फिर इस्तेमाल की हुई Plastic Plates और ग्लास को यहां-वहां डाल देते हैं. जिससे हिमालयी बुग्यालों को नुकसान पहुंचता है. और इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने कदम उठाया है.
केदारनाथ (Kedarnath) यात्रा मार्ग पर अब प्लास्टिक के प्लेटों एवं ग्लासों का उपयोग नहीं होगा.बल्कि यात्रियों को पहाड़ी इलाको में बहुआयात में होने वाले मालू के पत्तों में व्यंजन दिया जाएगा. जिसके लिए महिलाएं जोर- शोर से लगी हुई हैं. जिससे उनकी इस कार्य से उनकी आर्थिकी मजबूत होगी. आपको बता दें पर्यावरण का विशेष ध्यान रखते हुए इस बार प्लास्टिक की जगह अब श्रद्धालु को मालू के पत्तों में खाना दिया जाएगा. जिससे पर्यावरण (Environment) को भी नुकसान नहीं होगा. यात्रा पड़ाव सोनप्रयाग से केदारनाथ (Kedarnath)तक दुकानदारों को मालू के पत्तों उपयोग करने के लिए दिये जाएगे को दिया जायेगा.
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मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार के मुताबिक विकासखंड ऊखीमठ के दूरस्थ गांव जाल- मल्ला में महिलाओं को जागृत करते हुए नारी शक्ति ग्राम संगठन बनाया गया है. जिनके द्वारा पत्तल बनाने का कार्य किया जा रहा है. नारी शक्ति ग्राम संगठन को राष्ट्रीय आजीविका मिशन (National Livelihood Mission) के अंतर्गत गठित किया गया है. वहीं जालमल्ला में संगठन (Organization in Jalmalla) को इस कार्य के लिए 15 लाख रुपए की धनराशि भी दी गई है. जिससे संगठन ने मशीनें खरीदी हैं. वहीं ग्राम संगठन ने 2 लाख रुपए सामुदायिक निवेश निधि से भी लिए हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के इस कार्य से उनकी आर्थिक स्थिति तो मजबूत होगी साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा.