Jhansi Ki Rani: झांसी का नाम आते ही जहन में पहला नाम वीरांगना लष्मीबाई का नाम आता है आज हम ऐतिहासिक नगरी झाँसी के इतिहास के बारे में बता रहे है जहा रानी लक्मी बाई ने आजादी की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का विगुल इसी झाँसी के किले फूंका था , झाँसी रेलवे स्टेशन से महज तीन किलोमीटर दुरी स्थित है रानी लष्मीबाई का किला।
पूरे विश्व में मर्दानी कही जाने वाली रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी राज्य की रानी थी। वैसे तो रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को हुआ था। रानी लक्ष्मी के पिता का नाम मोरोपंत तांबे है, माता का नाम ‘भागीरथी बाई’ है।
-14 मार्च, 1858 से आठ दिन तक तोपें किले से आग उगलती रहीं। रानी ने क़िले की मज़बूत क़िलाबन्दी की। रानी के कौशल को देखकर अंग्रेज़ सेनापति सर ह्यूरोज भी चकित रह गया। अंग्रेज़ों ने क़िले को घेर कर चारों ओर से आक्रमण किया।रानी ने तोपों से युद्ध करने की रणनीति बनाते हुए कड़कबिजली, घनगर्जन, भवानीशंकर आदि तोपों को किले पर अपने विश्वासपात्र तोपची के नेतृत्व में लगा दिया।रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखे पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं। अंग्रेज़ आठ दिनों तक क़िले पर गोले बरसाते रहे परन्तु क़िला न जीत सके। रानी एवं उनकी प्रजा ने प्रतिज्ञा कर ली थी कि अन्तिम सांस तक क़िले की रक्षा करेंगे।
झांसी किला ओरछा के राजा वीर सिंह देव ने साल 1613 में बंगरा पहाड़ी पर बनवाया था इस किले के चरों और झाँसी सहर बस्ता है।यहां मराठा शासकों का शासन रहा, लेकिन आज भी यह रानी लक्ष्मीबाई किला के नाम से ही जाना जाता है। पिता शिवराम भाउ के बाद गंगाधर राव झांसी के राजा बने। साल 1853 में राव के निधन के बाद लक्ष्मीबाई झांसी की रानी बनीं, रानी ने काफी संघर्ष के बाद 1857 में सेना का मोर्चा संभाला और स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम ज्वाला जलाई जो धीरे धीरे पुरे देश में आग की तरह फैल गई।
झांसी के किले में अपराधियों को सजा देने के लिए पश्चिम दिशा में एक फांसी घर बनवाया गया था ये फांसी घर गंगाधर राव की मृत्यु के बाद रानी ने झाँसी की गद्दी संभाली और इस फांसी घर को बंद करवा दिया रानी के शासन काल में किसी अपराधी को मृत्युदंड (फांसी ) नहीं दी जाती थी आज भी किले में ये फांसी घर बना हुआ है।रानी के किले में तलहटी में संकर भगवन का मंदिर भी बनवाया गया था इस मंदिर में रानी रोजाना पूजा करने जाया करती थी झाँसी के लोगो की इस मंदिर से काफी आस्था है झाँसी वासी इस मंदिर में दर्सन के लिए आते है।
झांसी की रानी को महिलाओं का सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भी कहा जाता है पूरे विस्व में इतिहास में रानी जैसी किसी महिला ने इतना साहस नहीं दिखया ,रानी ने महिलाओं को सशक्किकरण बनाने के अनेकों काम किये थे। आज हिंदुस्तान में झांसी की रानी को हर कोई सलाम करता है। क्योंकि झांसी की रानी ने भारत के लिए वो किया जो हर कोई नहीं कर पाया।