SECRETARIAT BUILDING IN UTTARAKHAND: उत्तराखंड सचिवालय में भवनों की कमी बनी बड़ी समस्या, अफसरों को दफ्तर तक नहीं मिल पा रहे
SECRETARIAT BUILDING IN UTTARAKHAND: उत्तराखंड सचिवालय में भवनों की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिससे अधिकारियों को काम करने में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा भवनों की संख्या सीमित होने के कारण कई अधिकारियों के लिए वैकल्पिक कार्यालय तक उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। इस स्थिति के चलते प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है और कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। भवनों की इस कमी के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि सचिवालय के सुचारू संचालन को सुनिश्चित किया जा सके।
SECRETARIAT BUILDING IN UTTARAKHAND: उत्तराखंड सचिवालय में भवनों की कमी लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। स्थिति यह है कि नई तैनाती पाने वाले अफसरों को भी कार्यालय आवंटित करने में मुश्किलें आ रही हैं। कई अनुभागों को उचित स्थान नहीं मिल पा रहा है, जिससे प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। हाल ही में एक आईएएस अधिकारी को अपने कार्यालय के रिनोवेशन के दौरान दूसरे अधिकारी के साथ कार्यालय साझा करना पड़ रहा है।
दफ्तर की तलाश में अधिकारी और कर्मचारी परेशान
उत्तराखंड सचिवालय में अलग-अलग विभागों के अनुभागों और अफसरों के लिए कार्यालय मौजूद हैं, लेकिन सीमित संख्या में उपलब्ध भवनों के कारण दफ्तरों की कमी लगातार एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। कई अधिकारी अपने कार्यों के लिए वैकल्पिक स्थानों का सहारा ले रहे हैं, क्योंकि उन्हें समुचित कार्यालय नहीं मिल पा रहे।
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सचिवालय में आईएएस अधिकारी वी. षणमुगम के कार्यालय में मरम्मत का काम जारी है। स्थिति यह है कि मरम्मत का काम कई दिनों से चल रहा है और इस दौरान उन्हें वैकल्पिक कार्यालय की सुविधा नहीं मिल पाई। ऐसे में उन्होंने सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल के कार्यालय से काम करना शुरू कर दिया है। सचिव वित्त की विभिन्न बैठकें भी इसी अस्थायी कार्यालय में आयोजित की जा रही हैं।
कार्यालयों की कमी की समस्या से जूझ रहा सचिवालय प्रशासन
सचिवालय में दफ्तरों की किल्लत को लेकर सचिवालय प्रशासन के सचिव दीपेंद्र चौधरी का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि आईएएस अधिकारी को किसी अन्य अफसर का कार्यालय साझा करना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि सचिवालय में अफसरों के लिए कार्यालयों की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी का कहना है कि सचिवालय संघ लंबे समय से इस समस्या को उठाता रहा है। उन्होंने बताया कि यह मुद्दा मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखा जा चुका है। सरकार के स्तर पर इस समस्या को हल करने के प्रयास भी किए गए हैं और एक अलग भवन निर्माण की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई गई है। लेकिन मौजूदा स्थिति में देखें तो सचिवालय में कार्यालयों की कमी अभी भी बनी हुई है।
दस्तावेज और फाइलों को रखने तक की जगह नहीं
भवनों की कमी का असर सिर्फ अधिकारियों के बैठने तक सीमित नहीं है, बल्कि फाइलों और दस्तावेजों को रखने तक की जगह नहीं बची है। कई अनुभागों ने शिकायत की है कि उनके पास फाइलों को व्यवस्थित रखने के लिए उचित स्थान नहीं है और उन्हें अलग कार्यालय की जरूरत है। संबंधित विभागों के सचिव भी इस समस्या की पैरवी कर चुके हैं, लेकिन अब तक सचिवालय प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
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फील्ड से आए अधिकारियों को महीनों तक रहना पड़ता है बिना कार्यालय
उत्तराखंड सचिवालय में समस्या केवल वरिष्ठ अधिकारियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि फील्ड से आए अधिकारियों को भी कार्यालय आवंटित होने में लंबा समय लग जाता है। कई बार महीनों तक अधिकारी बिना दफ्तर के ही काम करने को मजबूर रहते हैं। सचिवालय प्रशासन राज्य के विभिन्न विभागों के लिए एक आदर्श संस्थान माना जाता है, लेकिन वर्षों से चली आ रही इस समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया है।
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नई इमारत के निर्माण की तैयारी, लेकिन समाधान अभी भी दूर
सरकार इस समस्या के समाधान के लिए सचिवालय के पास स्थित कुछ प्रॉपर्टी पर नए भवनों के निर्माण की योजना बना रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस नए निर्माण से अधिकारियों और कर्मचारियों को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए अभी भी यह कहना मुश्किल है कि कब तक इस समस्या का स्थायी समाधान हो पाएगा।
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