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वक्त का करें सदुपयोग, वक्त की शक्ति अद्भुत और महान

कोई व्यक्ति बलवान नहीं होता है, हमेशा वक्त ही है जो उसको बलवान दिखाता है। साथ ही उसका मान-सम्मान बढ़ाता है। कालचक्र हर मनुष्य को सीमित मात्रा में मिला है, उस वक्त सीमा में वह अपने हर काम को करता है। आइए जानते हैं आखिर मनुष्य के जीवन में वक्त का क्या महत्व है वक्त मनुष्य के भविष्य को निर्धारित कर देता है। हम सभी को यह आजादी होती है, कि हम अपना भविष्य कैसा चाहते हैं, यदि आप भी दूसरों से आगे निकलना चाहते हैं, जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो आपको अपने वक्त का सदुपयोग जरुर करना चाहिए।

वक्त का सही इस्तेमाल कीजिए क्योंकि वक्त की शक्ति अद्भुत और महान है

ईश्वर की बनाई इस सृष्टि में वक्त को सबसे अधिक बलवान माना गया है, वक्त कुछ भी बदल सकता है, राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है। मनुष्य अच्छा या बुरा नहीं होता बल्कि उसका समय अच्छा और बुरा होता है, जब समय अच्छा चल रहा होता है तो सब कार्य अपने आप बनने लगते हैं, खराब समय शुरू होने के बाद बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं।

समय बहुमूल्य संपदा

दुनिया की सभी वस्तुओं का मूल्य है, मगर समय अमूल्य है क्योंकि खोया हुआ धन, स्वास्थ्य, भूली हुई विद्या, छिना हुआ साम्राज्य फिर आ सकता है, मगर बीता हुआ समय कभी वापस लौटकर नहीं आ सकता। संसार में केवल समय ही है, जो हर मनुष्य को सीमित मात्रा में मिला है, बाकी सब वस्तुएं असीमित हो सकती हैं। निरंतर गतिमान समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में ही मानव जीवन की सार्थकता है। समय को या तो खर्च किया जा सकता है या उसका निवेश किया जा सकता है, इसलिए समय को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। जो वर्तमान काल का लाभ उठाता है, वह अपने भविष्य का निर्माण करता है। समझदारी से समय का निवेश करने वाला व्यक्ति जीवन में विशेष सफलता हासिल करता है। अथर्ववेद में काल को अश्वरूप माना गया है। जैसे घोड़ा तेज चाल से चलता है वैसे ही समय भी तेजी के साथ बीतता चला जाता है। समय अपनी गति से बड़ता जाता है, वह किसी के लिए रुकता नही, समयानुसार आवश्यक तथा उचित कार्यों को संपन्न करना ही समय का सदुपयोग है।

मनुष्य नहीं समय है बलवान

वक्त सबसे बलवान होता है, इसलिए कहा गया है ‘पुरुष बली नहि होत है, वक्त होत बलवान,’ अर्थात, मनुष्य बलवान नहीं होता है, समय बलवान होता है। मानव हर किसी को पराजित कर सकता है, लेकिन समय के द्वारा स्वयं पराजित हो जाता है। एक वक्त आया जब अर्जुन भीलों से हार गए, उस दौर के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर ने भीलों के आगे घुटने टेक दिए क्योंकि समय रूपी विजयश्री ने अर्जुन का साथ छोड़ दिया था। किंवदंति है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोलोकधाम जाने से पूर्व अर्जुन से कहा, ‘मेरे पीछे जो गोप-गोपियां द्वारिका में रह जाएं, उन्हें मथुरा छोड़ देना।’ अर्जुन ने यकीन दिलाया, ‘जब तक अर्जुन के हाथ में दिव्य धनुष-गांडीव है, कोई इनकी तरफ नजर नहीं उठा सकता।’ अर्जुन जैसे कर्मठ योद्धा की बात से निश्चिंत होकर श्रीकृष्ण अपने धाम चल दिए। जब अर्जुन गोप-गोपियों को लेकर चलने लगे, तो रास्ते में भीलों ने उन्हें घेर लिया। अर्जुन ने अपने दिव्य धनुष से भीलों पर प्रहार किया लेकिन एक भी भील घायल नहीं हुआ। उल्टा भीलों ने अर्जुन को परास्त कर दिया और सब कुछ लूट कर ले गए। समय के प्रभाव के कारण जहां एक वक्त अर्जुन जैसे महान योद्धा ने महाभारत के युद्ध में बड़े-बड़े धनुर्धर योद्धाओं को पराजित किया, वहीं समय बदलने पर, वही अर्जुन गोपियों की रक्षा करने में असमर्थ हो गए। तभी से यह कहावत बनी, मनुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान। भीलन लूटीं गोपिका, वही अर्जुन वही बाण।

समय और समझ

समय का महत्व समझने वाला व्यक्ति अपनी बुद्धि और क्षमता के मुताबिक समय का सही उपयोग करता है। समय और समझ दोनों एक साथ खुशकिस्मत लोगों को ही मिलते है क्योंकि अक्सर समय पर समझ नहीं आती और समझ आने पर समय निकल जाता है। समय को जिंदगी के समान माना गया है, जीवन की सबसे बहुमूल्य निधि है समय की शक्ति, जो व्यक्ति के जन्म से उसकी अंतिम सांस तक उसके साथ होती है।

Prachi Chaudhary

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