Manipur News: मणिपुर सुलग रहा है। ऐसा नहीं है कि मणिपुर में कोई पहली इस तरह की घटना घट रही है। एक समय ऐसा भी था जब मणिपुर चरमपंथी आंदोलन का केंद्र था और वहाँ के युवक हथियार उठाकर सत्ता और सरकार के खिलाफ चल रहे थे। वह ज़माना भी गुजर गया लेकिन मणिपुर की हालत नहीं सुधरी। मणिपुर के बीच आदिवासियों की लड़ाई चलती ही रही है लेकिन मौजूदा लड़ाई की कहानी काफी दिलचस्प है। और सबसे बड़ी बात कि समय रहते इसे केंद्र सरकार ने नहीं सुलझाया तो स्थिति काफी नजूल हो सकती है। पिछले दस दिनों से मणिपुर के जो हालत हैं और मणिपुर की सरकार के खिलाफ जिस तरह की परिस्थितियां बनती जा रही है वह किसी खतरे के संकेत से कम नहीं है ,मणिपुर में बीजेपी की सरकार तो है लेकिन वह सरकार मौजूदा हालात में क्या कुछ कर रही है किसी को पता नहीं। आदिवासियों का एक समूह सरकार पर हमलावर है और दूसरा समूह आगे की राह देख रहा है। सरकारी सम्पत्तियाँ जलाई जा रही है और सरकार के खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं लेकिन सरकार मौन है। मणिपुर की यह आग पुरे पूर्वोत्तर को अपने आगोश में न ले ले इसकी संभावना ज्यादा ही दिख रही है। और ऐसा हुआ तो पूर्वोत्तर की न सिर्फ राजनीति बदलेगी बल्कि कई विदेशी शक्तियां भी इसका लाभ लेने से नहीं चुकेगी।
मणिपुर के कई जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है। सारे इंटरनेट बंद कर दिए गए हैं ,सेना का फ्लैग मार्च जारी है। याद रखिये हमारी सेना कही तब जब पुलिस बल निरीह और कमजोर हो जाते हैं। जाहिर है मणिपुर में जो हालत है वह वहाँ की पुलिस संभाल भी नहीं सकती ,पुरे मणिपुर में सेना तैनात क्र दी गई है। और सेना सभी लोगों के बीच भाईचारे का पैगामे लिए घूम रही है। लेकिन हमारी सरकार चुनाव में मस्त है। मणिपुर भले ही जल जाए वोट में कोई कमी नहीं आये ,कर्नाटक का चुनाव हाथ से न निकल जाए !
मणिपुर से पिछले दिनों एक संदेश आया। यह सन्देश किसी मामूली आदमी का नहीं था। खैर यही है कि यह सन्देश समय से पहले आ गया था बरना आज जब इंटरनेट कट कर दिया गया है तो यह संदेश आता भी नहीं। यह सन्देश था राज्यसभा सांसद ओलम्पिक विजेता और मुक्केबाजी की विश्व चैम्पियन रही चुकी एमसी मैरीकॉम का। उन्होंने आधी रात को ट्वीट किया कि ”मेरा राज्य मणिपुर जल रहा है। मदद कीजिये। इस ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री ,गृहमंत्री और पीएमओ को भी टैग किया था। मैरीकॉम को अंदाजा था कि केंद्र सरकार मणिपुर में कोई मदद करेगी लेकिन उसे यह नहीं पता था कि पीएम और गृह मंत्री कर्नाटक चुनाव में बीजी हैं। जब वे दिल्ली के जंतर मंतर पर नहीं जा सकते तो दूर मणिपुर में वे कैसे चले जायेंगे !
पिछले साल ही मणिपुर में चुनाव हुए थे। प्रधानमंत्री उस चुनाव में गए थे। उन्होंने कहा था कि ये चुनाव मणिपुर के भविष्य को 25 साल के लिए निर्धारित करने वाले हैं। मणिपुर में स्थिरता और शांति की प्रक्रिया चलती रहेगी। इसलिए आप लोग बीजेपी को वोट दीजिये। मणिपुर में बीजेपी की जीत हुई लेकिन आज मणिपुर जल रहा है।
आपको बता दें कि मणिपुर में मैतेई ,नागा और कुकी समुदाय के लोग बहुतायत में हैं। इनमे से नागा और कुकी आदिवासी समाज से आते हैं और इनमे से अधिकतर लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं। मैतेई समाज के लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं और यह समाज गैर आदिवासी है। बीते मार्च महीने में मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समाज को भी आदिवासी समाज में शामिल करने का आदेश दिया। यह आदेश 19 अप्रैल को हाई कोर्ट के वेबसाइट पर चढ़ाया गया। इसके बाद से ही यहाँ असंतोष की चिंगारी सुलगने लगी। और अब आग का रूप ले चुकी है। जहां देखों वहां आग ही आग। क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले के बाद मणिपुर में आदिवासी और गैर आदिवासी के बीच जमीन और अन्य सुविधाओं को लेकर लड़ाई शुरू हो गई है।
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आपको बता दें कि मणिपुर का भूगोल 22 हजार वर्ग किलोमीटर का है। इसमें दस इलाका घाटी का है जबकि 90 फीसदी इलाका पहाड़ी है। राज्य के कानून के मुताबिक पहाड़ी इलाके में केवल आदिवासी ही बस सकते हैं जबकि घाटी को गैर आदिवासी के लिए सुरक्षित किया गया है। और इसमें भी यह बात दर्ज है कि आदिवासी चाहें तो घाटी में भी रह सकते हैं। इस तरह से 53 फीसदी आबादी वाले मैतेई समुदाय के लिए अब घाटी का इलाका ही सुनिश्चित किया गया था लेकिन जब उसे भी आदिवासी करार दिया गया तो वे भी पहाड़ी इलाके में जा सकते हैं।
इतना ही नहीं आदिवासियों के लिए आरक्षित नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में बी अब मैतेई समुदाय का हिस्सा होगा। अब इसको लेकर राज्य के आदिवासी समाज ज्यादा आशंकित हो गए हैं। कुकी और नागा समुदय को लगता है कि मैतेई समाज के लोग ज्यादा सबल हैं और वह उसके हर चीज पर कब्जा कर लेगा यही वजह है कि आदिवासी समाज के छात्र संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और मणिपुर तबाही की तरफ बढ़ रहा है।