Manipur Violence: कहने को तो मणिपुर (Manipur) में शांति कायम है लेकिन सच ठीक इसके विपरीत है। सूबे के कई इलाकों में आज भी हिंसक घटनाएं घट रही है और एक दूसरे के खिलाफ लोग नारे भी लग रहे हैं। लेकिन अशांत मणिपुर का संबसे ज्यादा असर पडोसी राज्यों पर पड़ता जा रहा है। मणिपुर से लगातार पलायन जारी है और हालिया पलायन का सबसे बड़ा असर मिजोरम (Mizoram) पर पड़ता दिख रहा है। मणिपुर से कोई आठ हजार से ज्यादा लोग जान के भय से मिजोरम में भागने को मजबूर हुए हैं। यह पलायन अभी भी जारी है और लोग डरे हुए भी हैं। अपनी पुश्तैनी छोड़कर लोग केवल जान बचाने की लालसा लिए मिजोरम के इलाकों में शरण ले रहे हैं। मिजोरम के आठ जिले मणिपुर के शरणार्थियों से भरते जा रहे हैं।
मिजोरम के अधिकारियों का कहना कि सबसे ज्यादा लोग मणिपुर से निकलकर असम की सीमा से लगे कोलासिब जिले में शरण ले रहे हैं। इसके बाद आइजोल में करीब ढाई हजार और सैतुअल में करीब दो हजार लोगों ने शरण ली है। इसके अलावा रही के पांच जिलों में लगातार मणिपुर से भागे लोग शरण ले रहे हैं। कई लोग अपने रिश्तेदारों के घर पर जा रहे हैं जबकि अधिकतर लोगों को स्कूलों और सार्वजानिक स्थलों पर ठहराया गया है। अधिकारी कह रहे हैं कि सबसे गंभीर बात तो यह है कि पलायन रुक नहीं रहा है। जाहिर है मणिपुर के भीतर लोगों में दहशत का माहौल है।
उधर एक दूसरी घटना भी सामने आती दिख रही है। बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल करने वाले विभिन्न संगठन कुछ दिनों से मणिपुर के घाटी के जिलों में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि कुकी आदिवासियों के साथ निलंबन अभियान को रद्द किया जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि अवैध म्यांमार के प्रवासियों को निर्वासित किया जाए और पहाड़ी क्षेत्रों में अफीम की खेती को रोका जाए। इस संगठन ने दस आदिवासी विधायकों को मणिपुर से विभाजित करने के लिए अलग राज्य का भी विरोध किया है। यह विरोध प्रदर्शन आज भी जारी है।
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बता दें कि मणिपुर में फैली जातीय हिंसा के बाद बड़ी संख्या में सेना और पुलिस की तैनाती की गई है। मैतेई और कुकी ,नागा समुदाय के बीच इस जारी संघर्ष की कहानी मैतेई समाज को भी आदिवासी का दर्जा देने के बाद शुरू हुआ है। सब एक दूसरे के जान के दुश्मन बने हुए हैं। राज्य के 16 जिलों में से 11 जिले हिंसाग्रस्त हो गए हैं। अभी तक सैकड़ों लोगों की जाने भी गई है जबकि कई सौ लोग घायल हुए हैं। राज्य से बड़ी संख्या में लोग पलायन करते जा रहे हैं लेकिन दिल्ली दरबार मौन है। दिल्ली को लग रहा है कि मणिपुर में कुछ हो ही नहीं रहा।