नई दिल्ली: रोजाना जहां एक तरफ कोरोना के बढ़ते आंकड़ो से लोग परेशान वहीं दूसरी तरफ मंकीपॉक्स, टोमैटो फीवर ने भी अपना कहर बरपा दिया है.कोरोना वायरस महामारी और मंकीपॉक्स (Monkeypox) जैसी खतरनाक बीमारियों का कहर झेल रहे भारत में एक और गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ता दिख रहा है. हाल ही में केरल में मंकीपॉक्स का सबसे पहला केस मिला. अब खबर है कि राज्य में टोमैटो फीवर (tomato fever) या टोमेटो फ्लू के 80 मामले सामने आए हैं, जिससे भारत में कुल मामलों की संख्या 100 हो गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे में ये संक्रमण मिला था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशो में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने वाले मामले सामने आए थे. दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है. मंकीपॉक्स बहुत ही कम मामलों में घातक साबित होता है.
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1958 से 1968 के बीच एशिया से आने वाले सैकड़ों बंदरों में कई बार मंकीपॉक्स वायरस फैला. उस समय वैज्ञानिकों को लगा कि ये वायरस एशिया से ही फैल रहा है. मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स से संक्रमित शख्स के संपर्क में आने से यह वायरल एक से दूसरे शख्स तक पहुंचता है. खास तौर पर यदि संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर उभरे दानों को छूने पर. मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को छूने के अलावा उसके कपड़े, टॉवल, बिस्तर आदि साझा करने पर भी यह संक्रमण फैलता है. करीब बैठे संक्रमित की छींक या खांसी से निकले ड्रॉपलेट्स से भी यह संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है.
मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमित होने के 5 से 21 दिन के भीतर दिखाई पड़ते हैं. मंकीपॉक्स संक्रमण के बाद तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, कमर दर्द, ठंड लगना और थकावट जैसे प्राथमिक लक्षण दिखाई पड़ते हैं. इसके बाद शरीर पर चकते और लाल दाने दिखाई पड़ते हैं. चेहरे के अलावा शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी यह दिखाई देते हैं. गुप्तांगों पर भी दाने निकलते हैं. कुछ सप्ताह बाद ये लक्षण आमतौर पर ठीक हो जाते हैं.
मंकीपॉक्स और अनसेफ सेक्स के बीच संबंध सामने आ रहा है. उन्होंने बताया कि जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी ने यूरोप और यूके के छह क्लस्टर के विश्लेषण में पाया है कि यह संक्रमण अधिकतर पुरुषों को हुआ है और चेहरे, पैर या हाथ से अधिक गुदा और अन्य गुप्तांगों पर इसका असर देखा गया है. यूके और न्यूयॉर्क सिटी के डेटा के बाद सेक्सुअल कॉन्टैक्ट को लेकर गाइडलाइंस जारी किए जा रहे हैं. खासतौर पर कंडोम के इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है. उन्होंने कहा है कि संक्रमण फैलने का एकमात्र रास्ता नहीं है, बल्कि किसी भी तरह से करीबी संपर्क से यह संक्रमण फैल सकता है.
मंकीपॉक्स का केस पहली बार 1958 में अफ्रीका में देखा गया था. जब मंकी के अंदर बीमारी पाई गई थी. 1970 में पहली बार ये बीमारी ह्यूमन में मिली. लेकिन मंकीपॉक्स नाम सुनकर बंदरों से डरने की जरूरत नही है. क्योंकि मंकी पॉक्स का मंकी से कोई लेना देना नहीं है. एक बार इंसान से इंसान में वायरस फैल जाए तो किसी जानवर का रोल बहुत कम हो जाता है. लैब में जांच के दौरान वायरस ने सबसे पहले वहां मौजूद बंदरों को संक्रमित किया और सभी से मंकीपॉक्स कहा जाना लगा. जबकि वायरस ज्यादातर जंगली जानवरों, जंगली चूहों और गिलहरी के जरिया फैलता है.
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की विधुना तहसील क्षेत्र के मोहल्ला जवाहर नगर निवासी एक महिला करीब एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित थी. महिला का निजी इलाज चल रहा था. कई डॉक्टरों को बिना आराम मिले देखा. इसके बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली और वह बायपास रोड स्थित पूर्व चिकित्सा अधिकारी के पास दवा लेने गए. जहां पूर्व चिकित्सा अधिकारी को महिला के शरीर पर छोटे-छोटे निशान मिले. महिला ने हाथ-पैर के तलवों में तेज दर्द की शिकायत की.
जिसके आधार पर इस पूर्व चिकित्सा अधिकारी ने महिला में मंकीपॉक्स के संभावित लक्षण मानकर विश्व स्वास्थ्य संगठन को फोन पर यह जानकारी दी. महिला के सैंपल की पहले भी जांच हो चुकी है. साथ ही महिला को विधुना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया है.
इसकी जानकारी मिलते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन और जिला स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया. सीएमओ डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने महिला का सैंपल लेने के लिए जिला अस्पताल से डॉ. सरफराज को विधुना भेजा. मृदुल अस्पताल पहुंचकर डॉ. संकल्प दुबे और एलटी अंकिता त्रिपाठी ने महिला के शरीर के निशान आदि के सैंपल लिये. सैंपल लेने के बाद वह फिर जिला अस्पताल गए. वहीं, जांच के लिए सैंपल लेकर केजीएमयू लखनऊ भेजे गए.