ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका, मुस्लिम पक्ष की चुनौतियां HC में खारिज
Gyanvapi case: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रकरण चर्चा में लगातार बना हुआ है. ASI ने सोमवार को ज्ञानवापी के साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में जमा कराई है. वहीं 21 दिसंबर को अगली सुनवाई किए जाने की घोषणा की गई है. मंगलवार यानी आज सब की नजर इलाहाबाद हाई कोर्ट पर टिकी थी। ज्ञानवापी मामले से जुड़ी इलाहाबाद हाई कोर्ट में 5 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने पांचों मामले में 8 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस अग्रवाल ने मंगलवार को सुबह इन पांचों केस में फैसला सुनाया है. . जस्टिस अग्रवाल मुस्लिम पक्ष की तरफ से दर्ज कराई गई याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई 5 याचिकाओं में से 3 याचिकायें वाराणसी कोर्ट में 1991 में दायर की गई थी. केस पोषणीयता से जुड़ी हुई थी. इसके ही इसमें 2 अन्य याचिका ASI सर्वेक्षण के खिलाफ दायर की गई थी. अब इन सभी पांचों याचिकाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट नें खारिज कर दिया गया है.
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मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से लगा बड़ा झटका
मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया. वाराणसी में ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच स्वामित्व विवाद के मामले में हाई कोर्ट का फैसला आ गया है. मुस्लिम पक्ष की पांचों याचिकाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. वहीं हिंदू पक्ष के द्वारा 1991 में दर्ज कराए गए केस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है. वाराणसी की अदालत में 1991 में दर्ज केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सिविल कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शुरू की जाएगी. ASI सर्वे को लेकर दायर किए गए मामले को खारिज करने के बाद जिला कोर्ट में इस केस पर सुनवाई की जाएगी.
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साल 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में मस्जिद ज्ञानवापी पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था. हिंदुओं को विवादित परिसर को सौंपने की मांग की गई थी. उस स्थान पर पूजा अर्चना का अधिकार मांगा गया था. कोर्ट में इस मामले को चलने को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे. अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज के फैसले में तय करेगी कि वाराणसी कोर्ट इस मामले में सुनवाई पाता है या नहीं. मुस्लिम पक्ष की तरफ से इस मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाया गया है. मुस्लिम पक्ष साल 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए.
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महादेव विश्वेश्वर की याचिका की सुनवाई नहीं किए जाने का दावा कर रहा है। ज्ञानवापी मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी मुस्लिम पक्ष की तरफ से तीन और उत्तर प्रदेस सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दो याचिकाएं दाखिल की गई. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद चौथी बार अपना फैसला 8 दिसंबर को सुरक्षित रखा लिया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट मंगलवार को इस मामले में फैसला दे रहा है. ASI के सुप्रीटेंडेंट अविनाश मोहंती के नेतृत्व में पहुंची ASI की टीम ने वाराणसी जिला कोर्ट में लगभग 1500 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है