Narak Nivaran Chaturdashi: भगवान शिव को क्यों प्रिय है शिवरात्रि व्रत, जानें माघ मास शिवरात्रि की पूजा विधि, व्रत करने का सही तरीका और कथा का महत्व
Know the worship method of Magh month Shivratri, the right way to observe fast
Narak Nivaran Chaturdashi: माघ मास शिवरात्रि इस वर्ष 8 फरवरी गुरुवार को मनाई गई। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है। लेकिन इनमें माघ और फाल्गुन मास की शिवरात्रि का सबसे अधिक महत्व होता है। माघ मास की शिवरात्रि फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि के समान ही पुण्यदायी मानी जाती है। आइए जानते हैं माघ मास शिवरात्रि जिसे नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है उसका महत्व, कथा और व्रत विधि।
नरक निवारण चतुर्दशी को माघ शिवरात्रि भी कहते हैं। इस व्रत का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व माना जाता है। पुराणों के अनुसार इस तिथि पर भगवान शंकर की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है। स्वर्ग-नरक के फेर से मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस व्रत में बेर और सेम का प्रसाद अर्पित करने का विधान है। इसे महात्म्य की वजह से ही इसे नरक निवारण चतुर्दशी (Narak Nivaran Chaturdashi 2024) के नाम से भी जाना जाता है।
इस वजह से खास है माघ शिवरात्रि
शास्त्रों के अनुसार माघ मास की शिवरात्रि (Narak Nivaran Chaturdashi 2024) के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह समपन्न हुआ था। इसलिए माघ कृष्ण चतुर्दशी जिसे नरक निवारण चतुर्दशी (Narak Nivaran Chaturdashi 2024) के नाम से भी जाना जाता है इसका खास महत्व है।
वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शंकर की पूजा के लिए श्रेष्ठ है मगर शास्त्रों की माने तो माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण से इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समान ही माना जाता है। इस दिन भगवान शिव ही नहीं बल्कि माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करने से भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। और नरक से मुक्ति मिलती है।
नरक द्वार करता है बंद माघ शिवरात्रि का व्रत
हिंदू धर्म के मुताबिक , मृत्यु के बाद अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरूप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी (Narak Nivaran Chaturdashi 2024) कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है।
शिवरात्रि नरक निवारण चतुर्दशी पर खास तरीके से करें शिवजी की पूजा
इस दिन भगवान शंकर (Narak Nivaran Chaturdashi 2024) को बेलपत्र, बिल्वपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए। यदि उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए। साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन ब्राह्मण को घी और शहद का दान करने से रोगों से छुटकारा मिलता है। किसी के घर में कोई रोगी है तो वह इस अवसर पर यह उपाय कर सकते हैं।