नई दिल्ली: केन्द्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट में पेश की गयी है, जिसमें देश में जनसंख्या वृद्धि में कमी आने के दावा किया गया है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में मुस्लिम वर्ग की प्रजनन दर 0.254 घटने का दावा किया गया।
इसके बावजूद मुस्लिमों की प्रजनन दर आज भी देश में दूसरे धर्मों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। दूसरे तरफ पिछली बार के सर्वे के मुकाबले में सिख और जैन धर्म में प्रजनन दर बढी है, जो काफी चौंकने वाली रिपोर्ट है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)-5 की रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें वर्ष 2015-16, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)-4 के मुकाबले हर वर्ग में प्रजनन दर कम होने की बात कही गयी है। इतना ही नहीं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मुस्लिम समाज में प्रजनन दर कम होने का जो कारण बताया है, वह नई सोच को जन्म देने वाला है।
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स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को दावा है कि मुस्लिमों में अधिक बच्चे पैदा करने का कारण उनकी धार्मिक सोच मानी जाती थी, लेकिन सच्चाई ये ही कि मुस्लिमों में अधिक बच्चे पैदा होने के कारण उनका कमजोर आर्थिक स्थिति और शिक्षा की कमी थी। जबसे मुस्लिमों में शिक्षा के प्रति रुझान बढा है, तब से अल्प संख्यक वर्ग की सोच में आये बदलाव से उनकी सामाजिकऔर आर्थिक स्थितियां बदली हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)-5 की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में मुस्लिमों की प्रजनन दर 2.36 है, लेकिन यह वर्ष 2015-16 की एनएफएचएस-4 में 2.62 थी, जो सभी दूसरे धर्मों से आज ही सबसे अधिक है। यदि एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस -5 की रिपोर्ट की प्रजनन दरों की तुलना करें तो यह हिन्दूओं की क्रमशः 2.13 और 1.94, ईसाईयों में 1.99 और
1.88, सिखों में 1.58 और 1.61, बौद्ध में 1.74 और 1.39, जैन समुदाय में 1.20 और 1.56 रही है। यानी नवीनतम प्रजनन सर्वे के अनुसार सिख और जैन धर्म में प्रजनन दर बढी है।