समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के समर्थन में बुद्धिजीवियों के एक दल “भारत फर्स्ट” ने विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी से नई दिल्ली के तीस जनवरी मार्ग पर स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। इस मौके पर कई लोग मौजूद रहे जिनमें शामिल शिक्षाविद्, अधिवक्ता, पत्रकार, समाज सेवी और बुद्धिजीवियों ने जस्टिस अवस्थी के सामने एक देश, एक कानून, एक झंडा, एक नागरिकता को लेकर अपनी बातें रखीं। इन सभी को जस्टिस अवस्थी ने ये आश्वासन दिया कि वे सभी सुझावों के मद्देनजर कानून संवत निर्णय लेंगे।
इसके अलावा मुस्लिम बुद्धिजीवियों के डेलिगेशन की तरफ से अधिवक्ता शिराज कुरैशी जो की भारत फर्स्ट के अध्यक्ष है और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने जस्टिस अवस्थी को UCC के समर्थन में मेमोरंडम की कॉपी सौंपी।
इस मौके पर विधि आयोग के चेयरमैन न्यायधीश ऋतु राज अवस्थी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के डेलिगेशन को भरोसा जताते हुए ये कहा कि बहुत सी भ्रम की स्थितियां हैं लेकिन किसी भी धर्म, समुदाय या वर्ग के आंतरिक प्रथा को यूसीसी (UCC) से कोई खतरा नहीं है। उन्होंने आगे ये भी कहा कि काफी बड़ी संख्या में आयोग को सुझाव प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिनमें ज्यादातर उन लोगों के सुझाव है जो एक देश एक कानून के समर्थन में हैं।
समान नागरिक संहिता (uniform civil code) को लेकर कई तरह की अफवाहें फैली हुई है इस पर बात करते हुए जस्टिस अवस्थी ने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर एक अफवाह ये भी है कि संसद के आगामी सत्र में कानून लाया जाएगा। सभी तरह की अफवाहों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है, अभी इस प्रक्रिया को पूरा करने में काफी समय लग जायेगा। इतना ही नहीं जस्टिस अवस्थी ने मुस्लिम डेलिगेशन से कानून को लेकर अनेकों सुझाव मांगे और कहा कि समान नागरिक संहिता पर आप अपने सुझाव उन्हें मेल पर या हार्ड कॉपी के रूप में दें।
इस बैठक के दौरान मंच की ओर से जस्टिस अवस्थी को अध्यक्ष शिराज कुरैशी द्वारा आश्वासन दिया कि UCC के मामले में मंच धरातल पर लोगों के बीच चला रहे जन जागरण अभियान को और तेज़ी से बढ़ाएगा तथा कानून के समर्थन में एकमत होने का कार्य करेगा।
बैठक खत्म होने के बाद शाहिद सईद जो की राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी है उन्होंने बताया कि यह कानून सभी धर्मों के लोगों को ताकत प्रदान करने का काम करेगा। इसके तहत कई कार्य हो सकेंगे जैसे कि इससे गोद लेने की परंपरा को बढ़ावा मिलेगा, महिलाओं के पक्ष में कई अनगिनत सुविधाएं होंगी जिसमें प्रॉपर्टी के बटंवारे में हिस्से का भी मामला भी शामिल होगा। शाहिद सईद ने इस बात पर आगे चुटकी लेते हुए कहा कि जब कोई चोरी के जुर्म में गिरफ्तार होता है तब तो शरीयत के कानून के तहत कोई अपने हाथ कटवाने की बात तो नहीं करता है, उस समय शरीयत के कानून के तहत नहीं बल्कि इंडियन पीनल कोड के तहत ही फैसले होते हैं।
इस बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि अभी सभी तरह के सुझावों के लिए डेट पूरी तरह खुली है, इसलिए इस कानून से जुड़े सुझाव अभी दिए जा सकते है। अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। सभी धर्मों की भावनाओं और हितों को देखते हुए ही उचित फैसला लिया जायेगा। इसमें 28 जुलाई की तारीख की कोई बाध्यता नहीं है।