Indian Railways’ big step: अब ट्रेनों में मिलेगा स्वच्छ और सुरक्षित बैडरोल, यूवी सैनिटाइजेशन से होगी सफाई
Indian Railways' big step: एसी कोचों में यात्रियों को दिए जाने वाले ऊनी कंबलों की गुणवत्ता और स्वच्छता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उत्तर रेलवे ने शनिवार को कहा कि इन्हें हर 15 दिन में धोया जाता है और हर पखवाड़े गर्म नेफ़थलीन वाष्प का उपयोग करके उन्हें जीवाणुरहित किया जाता है।
Indian Railways’ big step: भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा और आराम को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए लगातार नई पहल कर रहा है। खासतौर पर एसी कोच में सफर करने वाले यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए रेलवे ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। अब ट्रेन यात्रा के दौरान मिलने वाले कंबल, चादर और पिलो कवर की स्वच्छता को लेकर यात्रियों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी।
यूवी सैनिटाइजेशन: स्वच्छता की नई परिभाषा
भारतीय रेलवे ने बैडरोल की सफाई के लिए अत्याधुनिक ‘यूवी सैनिटाइजेशन’ तकनीक अपनाई है। यह तकनीक विश्वस्तरीय है और इसे बेहद प्रभावी माना जाता है। हर यात्रा के बाद कंबल, चादर और पिलो कवर को यूवी किरणों से सैनिटाइज किया जाएगा। इस प्रक्रिया से बैक्टीरिया और वायरस का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा, जिससे यात्रियों को स्वच्छ और सुरक्षित बैडरोल मिल सकेगा।
पायलट प्रोजेक्ट से सफलता की ओर
फिलहाल इस नई प्रक्रिया की शुरुआत उत्तर रेलवे की दो प्रमुख राजधानी ट्रेनों—जम्मू राजधानी और डिब्रूगढ़ राजधानी—में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में की गई है। इन ट्रेनों में यूवी सैनिटाइजेशन तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है। इस परीक्षण की सफलता के बाद इसे अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा। रेलवे का लक्ष्य है कि हर यात्री को यात्रा के दौरान स्वच्छ और आरामदायक बैडरोल मिले, जिससे उनकी यात्रा का अनुभव और भी सुखद हो।
सख्त हुए स्वच्छता के मानक
रेलवे ने बैडरोल की सफाई के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। पहले जहां कंबल और चादरों की धुलाई दो-तीन महीने में एक बार होती थी, अब इसे हर महीने कम से कम दो बार साफ किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में लॉजिस्टिक चुनौतियां हैं, वहां भी सफाई प्रक्रिया महीने में एक बार सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम यात्रियों को स्वच्छता का एक नया स्तर प्रदान करेगा।
मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री: स्वच्छता की गारंटी
भारतीय रेलवे ने मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री स्थापित की हैं, जहां चादरों और पिलो कवर की धुलाई और इस्त्री आधुनिक मशीनों से की जाती है। उत्तर पश्चिम रेलवे ने अपनी क्षमता को बढ़ाते हुए प्रतिदिन 56 टन कपड़े धोने की व्यवस्था की है, जिसे 2025 तक और बढ़ाया जाएगा।
इसके अलावा, रेलवे हर 15 दिन में ‘नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन’ प्रक्रिया का भी उपयोग कर रहा है। यह एक पारंपरिक और प्रभावी तरीका है, जो बैक्टीरिया और दुर्गंध को दूर करने में सहायक है।
यात्रा का नया अनुभव
भारतीय रेलवे की यह नई पहल यात्रियों को न केवल स्वच्छता का भरोसा देगी, बल्कि उनकी यात्रा को भी अधिक आरामदायक बनाएगी। यूवी सैनिटाइजेशन और सख्त सफाई मानकों के साथ, यात्रियों को एक नया और सुरक्षित अनुभव मिलेगा। रेलवे का यह कदम ट्रेनों की स्वच्छता में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ओर एक बड़ा कदम साबित होगा।