New Justice Statue: भारत में अब ‘नहीं कानून अंधा’! न्याय की देवी की नई मूर्ति ने आंखों से हटाई पट्टी और हाथ में लिया संविधान भी
Now in India 'the law is not blind'! The new statue of the goddess of justice removed the blindfold and also took the constitution in her hand
New Justice Statue: सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई प्रतिमा स्थापित की गई है। जजों की लाइब्रेरी में स्थापित मूर्ति की खासियत यह है कि इसकी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है। पारंपरिक प्रतिमा की तरह इसके एक हाथ में तराजू है लेकिन दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारत का संविधान है।
सांकेतिक रूप से कुछ महीने पहले स्थापित न्याय की देवी की नई प्रतिमा यह स्पष्ट संदेश दे रही है कि न्याय अंधा नहीं होता। यह संविधान के आधार पर काम करता है। कहा जा रहा है कि यह प्रतिमा मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर स्थापित की गई है। हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसी और प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी या नहीं।
क्या है न्याय की देवी की नई मूर्ति में खास?
- पूरी मूर्ति सफेद रंग की है।
- मूर्ति में न्याय की देवी को भारतीय परिधान में दिखाया गया है। उन्हें साड़ी में दिखाया गया है।
- सिर पर एक सुंदर मुकुट भी है।
- माथे पर बिंदी, कानों और गले में पारंपरिक आभूषण भी दिखाई दे रहे हैं।
- न्याय की देवी के एक हाथ में तराजू है।
- दूसरे हाथ में उन्हें संविधान पकड़े हुए दिखाया गया है।
दरअसल, न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाली अदालतों में रखी जाने वाली मूर्ति को ‘लेडी जस्टिस’ के नाम से जाना जाता है। न्याय की देवी की जो मूर्ति अब तक इस्तेमाल की जाती थी, उसमें आंखों पर काली पट्टी बंधी होती थी, जबकि एक हाथ में तराजू और दूसरे में तलवार हुआ करती थी।
सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि, यह मूर्ति नई नहीं है। इसे पिछले साल अप्रैल में जजों की लाइब्रेरी में लगाया गया था। लाइब्रेरी में इस मूर्ति को लगाने के पीछे एक उद्देश्य पढ़ाई को बढ़ावा देना भी है।