Manipur Violence: संसद में रार मचा है और मणिपुर (Manipur) में तबाही है। संसद में विपक्ष मणिपुर को लेकर चर्चा की मांग कर रहा है लेकिन सरकार प्रधानमंत्री के बदले गृह मंत्री शाह से चर्चा करने की बात कह रही है। विपक्ष इस पर राजी रही है विपक्ष का कहना है कि देश के मुखिया प्रधानमंत्री है इसलिए मणिपुर पर उन्हीं को बोलना चाहिए। यह देश की एकता और अखंडता का मसला है। लेकिन सत्ता पक्ष अभी इसे नहीं मान रहा। आश्चर्य तो यह है कि प्रधानमंत्री मोदी संसद सत्र के दौरान संसद के अपने दफ्तर में बैठ भी रहे हैं और वहीं से संसद के भीतर की गतिविधियों को देख भी रहे हैं लेकिन हिस्सा नहीं ले रहे। अब विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। यह प्रस्ताव मंजूर भी हो गया है। सुविधा के मुताबिक इस पर चर्चा होगी और प्रधानमंत्री को इसमें हिंसा लेना होगा क्योंकि वे सदन के नेता भी हैं।
लेकिन खेल सरकार गिराने का नहीं है। विपक्ष भी जनता है कि उसके अविश्वास से सरकार गिरने नहीं जा रही है। सरकार के पास पूरा बहुमत है। सरकार को कुछ नहीं होना। लेकिन विपक्ष की चाल बस इतना ही है कि इसके बहाने भी प्रधानमंत्री संसद में पहुंचे और मणिपुर (Manipur) पर चर्चा करें। अब क्या होगा इस पर देश की निगाह टिकी हुई है।
इधर विपक्ष वाले इंडिया ने ऐलान किया है कि उनके लोग मणिपुर के दौरे पर जायेंगे। यह दौरा 29 -30 जुलाई को होना है। इस दौरे में कई सांसद शामिल होंगे। बता दें कि यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब लोकसभा स्पीकर ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। लेकिन विपक्ष को इससे क्या लेना देना। सरकार गिराने की बात तो है नहीं और सरकार गिरने भी नहीं जा रही है। यह विपक्ष भी जान रहा है और सरकार भी। लेकिन बीजेपी इसे भी खेल बता रही है। बीजेपी इसे प्रचारित कर रही है कि विपक्ष ने सरकार गिराने का अभ्यास किया है और सरकर अपना दम दिखा देगी। गजब का तमाशा है। मुद्दा उठाने और मुद्दा बनाने की राजनीति चल रही है। चलती भी रहेगी।
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उधर सरकर ने एक और बात कही है। उसने कहा है कि वह हर मुद्दे पर बहस को तैयार है लेकिन विपक्ष स्थगन प्रस्ताव के जरिये बहस पर अड़ा है। दोनों पक्षों की तरफ से खींचतान जारी है। कोई किसी के सामने झुकने को तैयार नहीं। संसद चालू है लेकिन कोई काम नहीं हो रहा। जनता के पैसे बर्बाद हो रहे हैं। लगता है जैसे यही सब संसद की परम्परा है। देश के पैसे लूट जाए इससे किसी को मतलब नहीं !
यह भी बता दें कि गृह मंत्री शाह ने भी मणिपुर का दौरा किया था। शांति बहाली की कोशिश भी की। लेकिन परिणाम नहीं निकले। अभी तक मणिपुर की जो स्थिति है लगता है वहां नरसंहार चल रहा हो। कुकी और मैतेई एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। ग़लत इतनी ख़राब है कि पिछले दिनों जिन दो महिलाओं की नंग तस्वीर सामने आई उसके बाद शीर्ष अदालत भी आग बबूला हो गया। अदालत ने सरकार को कहा कि आप कोई कदम उठाये बरना हमें इस पर निर्णय लेना होगा। हम इसे देखेंगे। लेकिन सच यही है कि दिल्ली में हंगामा है लेकिन अपनी बदहाली पर आज भी आंसू बहा रहा है।