Buddha Purnima Celebration: बुद्ध पूर्णिमा पर हरिद्वार में श्रद्धा का सागर, गंगा स्नान को उमड़ा जनसैलाब
बुद्ध पूर्णिमा के दिन हजारों श्रद्धालु हरिद्वार के हर की पैड़ी पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे, आत्मिक शुद्धि की कामना करते हुए। यह दिन बौद्ध और हिंदू परंपराओं में विशेष महत्व रखता है। शांतिपूर्ण आयोजन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
Buddha Purnima Celebration: धर्मनगरी हरिद्वार में बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। देशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए हरकी पैड़ी पहुंचे। तड़के से ही गंगा तटों पर भक्तों की भीड़ जुटने लगी और हरकी पैड़ी के घाट हर-हर गंगे के जयकारों से गूंज उठे। बुद्ध पूर्णिमा का यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसी अवसर पर श्रद्धालुओं ने पुण्य लाभ की कामना के साथ पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
बुद्ध के जीवन से जुड़ी पावन तिथियां एक ही दिन पर
बुद्ध पूर्णिमा को विशेष बनाने वाला तथ्य यह है कि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महानिर्वाण तीनों घटनाएं हुई थीं। यही कारण है कि यह दिन न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि हिंदू श्रद्धालुओं के लिए भी अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार भी लिया था और भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को विनायक उपवास का महत्व बताया था। इसी बहु-आध्यात्मिकता ने बुद्ध पूर्णिमा को एक विशेष पर्व बना दिया है।
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गंगा स्नान का विशेष महत्व
मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि आज के दिन हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर गंगा स्नान के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन गंगा स्नान करने मात्र से जन्मों के दोष समाप्त हो जाते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। हरकी पैड़ी पहुंचे एक श्रद्धालु ने कहा, “गंगा स्नान तो हर दिन पुण्यदायक है, लेकिन बुद्ध पूर्णिमा पर इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।”
सुरक्षा के किए गए पुख्ता इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती, ड्रोन कैमरों की निगरानी और नियंत्रण कक्ष के माध्यम से हर गतिविधि पर नजर रखी गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में महिला और पुरुष सुरक्षाकर्मी घाटों पर तैनात किए गए हैं। साथ ही, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह मेडिकल कैम्प और जलपान की व्यवस्था भी की गई थी।
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पंडितों और विद्वानों ने बताया पर्व का महत्व
हरिद्वार के प्रसिद्ध विद्वान पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा भगवान नारायण के नवम अवतार बुद्ध का प्राकट्य दिवस है। उन्होंने कहा, “इस दिन गंगा स्नान, व्रत, दान और ध्यान से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मशुद्धि और मोक्ष की दिशा में एक बड़ा कदम है।” उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे इस दिन न केवल बाह्य स्नान करें, बल्कि अपने विचारों को भी शुद्ध करें।
दान और सेवा का बढ़ा महत्व
बुद्ध पूर्णिमा पर केवल स्नान ही नहीं, दान और सेवा का भी विशेष महत्व होता है। श्रद्धालुओं ने आज के दिन जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन, जल और अन्य आवश्यक वस्तुएं वितरित कीं। कई धार्मिक संगठनों और आश्रमों ने भंडारे और सत्संगों का आयोजन भी किया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
बुद्ध पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा, शांति और आत्मज्ञान का प्रतीक है। हरिद्वार में इस दिन गंगा स्नान करने का जो महत्व है, वह वर्षों से अनगिनत श्रद्धालुओं को यहां खींच लाता है। आस्था और अध्यात्म के इस संगम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति में पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का माध्यम भी हैं।
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