चीनी कंपनी Betavolt Technology ने रेडियोन्यूक्लाइड बैटरी विकसित की है जो स्मार्टफोन में भी सपोर्ट करेगी। यह बैटरी हाई-एनर्जी डेंसिटी के साथ आती है और लंबे समय तक पावर प्रोड्यूस कर सकती है। इसके लिए यह रेडियोएक्टिव डीके का इस्तेमाल करती है जो अन्य जगहों में इस्तेमाल नहीं होता है। आमतौर पर हम अपने फोन को हर रोज चार्ज करते हैं। कई बार ज्यादा इस्तेमाल होने की स्थिति में हमें अपने स्मार्टफोन को एक दिन में 2 बार भी चार्ज करने की जरूरत पड़ जाती है। फोन की बैटरी को लेकर एक टेंशन हमेशा बनी रहती है कि फोन की बैटरी न जानें कब खत्म हो जाएं. मगर अब यह टेंशन खत्म होने वाली है। अब चाइना ऐसी टेक्नोलॉजी लेकर आ रहा है जिसकी मदद से फोन की बैटरी लाइफ कुछ दिन नहीं बल्कि दशकों तक चार्ज रहने वाली हैं
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Smartphone में समय के साथ कई बदलाव किए जाते हैं। इसमें फोन के डिस्प्ले से लेकर बैटरी तक सबमें बदलाव होते हैं। आज हम आपसे बैटरी टेक्नोलॉजी को लेकर और फीचर्स को लेकर बात करने वाले हैं। इससे बैटरी की लाइफ भी काफी अच्छी हो जाती है और फोन आसानी से चार्ज भी हो जाता है। चीनी कंपनी अब एक नए तरीके की बैटरी टेक्नोलॉजी लेकर आ रही है जिसकी मदद से आपका स्मार्टफोन कुछ दिन नहीं बल्कि दशकों तक चार्ज रहेगा। सुनने में यह मजाक लग रहा होगा लेकिन सच है
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Betavolt Technology नाम की चीनी कंपनी ने कहा कि वह रेडियोन्यूक्लाइड बैटरी विकसित करने पर काम कर रही है और ये स्मार्टफोन में भी सपोर्ट करेगी। आमतौर पर ऐसी बैटरी बहुत महंगी होती है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत होती है कि इसकी लाइफ बहुत ज्यादा होती है और ये हाई-एनर्जी डेंसिटी के साथ आती है। यानी इसका मतलब है कि इसकी मदद से लंबे समय तक पावर प्रोड्यूस की जा सकती है। आमतौर पर ये स्पेसक्राफ्ट, पेसमेकर्स और अंडरवॉटर सिस्टम में यूज की जाती हैं।WinFuture की रिपोर्ट की मानें, कंपनी अपना पहला मॉडल विकसित कर चुकी है और ये 100 माइक्रोवॉट इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस करता है। ये छोटी बैटरी स्मार्टफोन को पावर सप्लाई कर सकती है। ये बैटरी पावर जनरेट करने के लिए रेडियोएक्टिव डीके का इस्तेमाल करती है। रेडियोएक्टिव मैटेरियल (radioactive material) की वजह से ये अन्य किसी जगह पर इस्तेमाल नहीं होती है, क्योंकि इसमें प्लूटोनियम (plutonium) होता है जो काफी हानिकारक होता है।
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Betavolt अब नए प्रकार की बैटरी पर काम कर रही है जो आर्टिफिशियल डायमंड (artificial diamond) 10 माइक्रोमीटर पतली लेयर का इस्तेमाल करती है जो सेमीकंडक्टर लेयर सर्व करेगी। इसकी मदद से खुद ही पावर जनरेट करने में मदद मिलती है। इसी प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल मेडिकल डिवाइस, एडवांस सेंसर, छोटे ड्रोन और माइक्रोरोबोट्स में किया जाता है। ये तकनीक करीब 50 साल तक इलेक्ट्रिसिटी प्रोवाइड (electricity provide) कर सकती है।