Illegal Hoardings Case: अवैध बैनर लगाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश
दिल्ली की अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ अवैध होर्डिंग्स लगाने पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। अदालत ने इसे सार्वजनिक उपद्रव बताते हुए पुलिस जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। पुलिस को जांच कर यह पता लगाने का निर्देश दिया गया कि होर्डिंग्स कहां छपवाए गए और किसने लगाए।
Illegal Hoardings Case: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ अवैध बैनर लगाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने कहा कि शिव कुमार सक्सेना नामक व्यक्ति ने अदालत में सबूत पेश किए, जिसमें समय और तारीख के साथ यह दर्शाया गया कि अवैध होर्डिंग्स और बैनर पर केजरीवाल समेत अन्य आरोपियों के नाम और तस्वीरें मौजूद थीं।
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किन लोगों के खिलाफ दर्ज होगा मामला?
अदालत ने केवल अरविंद केजरीवाल ही नहीं, बल्कि पूर्व विधायक गुलाब सिंह और तत्कालीन द्वारका पार्षद नीतिका शर्मा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इन सभी पर बड़े आकार के अवैध बैनर लगाने का आरोप है।
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अदालत ने अवैध होर्डिंग्स को बताया ‘सार्वजनिक उपद्रव’
इस मामले को गंभीर बताते हुए अदालत ने कहा कि “इस तरह के अवैध होर्डिंग्स न केवल शहर की सुंदरता को बिगाड़ते हैं, बल्कि यह एक सार्वजनिक उपद्रव (पब्लिक नUISance) भी हैं। ये ट्रैफिक को बाधित कर सकते हैं और दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं। भारत में अवैध होर्डिंग्स गिरने से लोगों की मौतें पहले भी हो चुकी हैं।”
अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अवैध रूप से होर्डिंग्स और बैनर लगाना “दिल्ली सार्वजनिक संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम, 2007” (Delhi Prevention of Defacement of Property Act, 2007) की धारा 3 का उल्लंघन है।
एफआईआर दर्ज करने का आदेश
अदालत ने धारा 156(3) के तहत पुलिस जांच के आदेश देते हुए कहा कि यह मामला संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की श्रेणी में आता है, इसलिए एफआईआर दर्ज करना जरूरी है।
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अदालत ने संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को तुरंत धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज करने और अन्य संभावित अपराधों की जांच करने का निर्देश दिया।
पुलिस की जांच पर उठाए सवाल
अदालत ने पुलिस की जांच रिपोर्ट (ATR) पर भी नाराजगी जताई और दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। “एसएचओ की रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए समय और स्थान पर होर्डिंग्स मौजूद थे या नहीं। इससे ऐसा लगता है कि जांच एजेंसी अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।”
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे जांच करके यह पता लगाएं कि इन होर्डिंग्स को कहां छपवाया गया और इन्हें किसने लगाया।
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शिकायतकर्ता की मांग और पहले की कानूनी प्रक्रिया
शिव कुमार सक्सेना ने 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी कि अरविंद केजरीवाल, गुलाब सिंह और नीतिका शर्मा ने द्वारका क्षेत्र में कई स्थानों पर बड़े होर्डिंग्स लगाकर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया।
हालांकि, सितंबर 2022 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह शिकायत खारिज कर दी थी। इसके बाद जनवरी 2025 में सेशंस कोर्ट ने इस मामले को फिर से विचार करने के लिए मजिस्ट्रेट को भेज दिया था।
सेशंस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि “मजिस्ट्रेट को शिकायतकर्ता की याचिका पर फिर से विचार करना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि क्या यह मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।”
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