Owaisi’s advice to Central Government: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। ओवैसी ने कहा कि आज का दिन भारत के मुसलमानों के लिए बेहद खास है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। साथ ही उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया पर अपनी लंबी पोस्ट में कहा, ”देश के मुसलमानों के लिए यह बहुत अहम दिन है। 1967 के फैसले ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को खारिज कर दिया था, जबकि हकीकत में वह अल्पसंख्यक था। संविधान के अनुच्छेद 30 में भी कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने और चलाने का अधिकार है, जिस तरह से वे उचित समझें।”
भाजपा की सभी दलीलें खारिज: ओवैसी
ओवैसी ने आगे कहा, “अल्पसंख्यकों के खुद को शिक्षित करने के अधिकार को बरकरार रखा गया है। मैं आज एएमयू के सभी छात्रों और शिक्षकों को बधाई देता हूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विश्वविद्यालय संविधान से पहले स्थापित हुआ था या सरकारी कानून द्वारा स्थापित किया गया था। यदि यह अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित है तो यह अल्पसंख्यक संस्थान है। आज के फैसले ने भाजपा के सभी तर्कों को खारिज कर दिया है।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करते हुए ओवैसी ने कहा, “भाजपा ने इतने सालों तक एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध किया है। अब वह क्या करने जा रही है? उसने एएमयू और जामिया पर हमला करने की पूरी कोशिश की है, और मदरसा चलाने के हमारे अधिकार पर भी हमला किया है। अब भाजपा को आत्मचिंतन करना चाहिए और अपना रवैया सुधारना चाहिए।”
मोदी सरकार को एएमयू का समर्थन करना चाहिए: ओवैसी
कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र की मोदी सरकार को सलाह देते हुए एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने कहा, “मोदी सरकार को इस फैसले को गंभीरता से लेना चाहिए। उसे एएमयू का भी समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह भी एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है।”
ओवैसी ने कहा, “जामिया को प्रति छात्र 3 लाख रुपये मिलते हैं, एएमयू को प्रति छात्र 3.9 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को 6.15 लाख रुपये मिलते हैं। इतना ही नहीं, जामिया और एएमयू ने राष्ट्रीय रैंकिंग में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। सरकार से सही समर्थन मिलने पर विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर भी प्रसिद्ध हो सकता है। लेकिन इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को उनके साथ भेदभाव बंद करना होगा।”
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में
किशनगंज सेंटर का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि एएमयू का किशनगंज सेंटर पिछले कई सालों से खराब स्थिति में है। सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए और इसे जल्द से जल्द चालू करवाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित मामले को तीन न्यायाधीशों की नई पीठ को भेजने का निर्णय लिया और 1967 के अपने फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसकी स्थापना एक केंद्रीय अधिनियम के तहत हुई थी।