BRICS Summit 2025: पहलगाम, ईरान हमला और टैरिफ पर चिंता…ब्रिक्स देशों ने दुनिया को दिया संदेश
इस बार इंडोनेशिया, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई जैसे नए सदस्य भी ब्रिक्स में शामिल हुए हैं। इसके अलावा बेलारूस, क्यूबा और वियतनाम जैसे 10 रणनीतिक साझेदार भी हैं। इस बार सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आए। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसमें हिस्सा लिया।
BRICS Summit 2025: रविवार को ब्राज़ील में दो दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान ब्रिक्स देशों ने ईरान हमले और व्यापार शुल्क की निंदा की। हालांकि, इस दौरान अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया गया। इसके साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में मध्य पूर्व में तनाव पर भी चिंता जताई। आपको बता दें कि पांच देशों के ब्रिक्स समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं।
दरअसल, 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है कि हम 13 जून से ईरान के खिलाफ़ हो रहे सैन्य हमलों की निंदा करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन है। साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने मध्य पूर्व में सुरक्षा स्थिति पर गंभीर चिंता जताई।
अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि हम अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत नागरिक बुनियादी ढांचे और शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं पर जानबूझकर किए गए हमलों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून और IAEA प्रस्तावों का उल्लंघन है। लोगों और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए संघर्षों के दौरान भी परमाणु सुरक्षा हमेशा बनाए रखी जानी चाहिए।
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संघर्ष और अस्थिरता पर जताई गई चिंता
संयुक्त घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने कहा कि हम यूक्रेन में संघर्ष के संबंध में अपनी स्थिति को याद करते हैं, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित कई मंचों पर व्यक्त किया गया है। हमें उम्मीद है कि मौजूदा प्रयासों से स्थायी शांति समझौता होगा। इसके साथ ही उन्होंने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) क्षेत्र में चल रहे संघर्ष और अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की।
टैरिफ नीति की आलोचना
आपको बता दें कि ब्रिक्स देशों ने अमेरिका का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ते टैरिफ वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं, जो डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने सैन्य खर्च बढ़ाने के नाटो के फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि युद्ध में निवेश करना हमेशा आसान होता है।
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ईरानी विदेश मंत्री ने दी चेतावनी
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्किन ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उनके विदेश मंत्री अब्बास अराघची इसमें शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि ईरान पर हो रहे हमलों के लिए अमेरिका और इजरायल को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस युद्ध का असर सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहेगा। इसके साथ ही ब्रिक्स नेताओं ने गाजा के हालात पर भी चिंता जताई।
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दो बड़े नेताओं ने ब्रिक्स से किया खुद को अलग
इस साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दो बड़े नेता शामिल नहीं हुए। पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसमें हिस्सा लिया। आपको बता दें कि पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी है।
मजबूत वैश्विक नेतृत्व पर उठे सवाल
इस बार ब्रिक्स में इंडोनेशिया, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे नए सदस्य भी शामिल हैं। इसके अलावा बेलारूस, क्यूबा और वियतनाम जैसे 10 रणनीतिक साझेदार भी हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि नए सदस्यों के शामिल होने के बावजूद ब्रिक्स खुद को एक मजबूत वैश्विक नेता के रूप में पेश नहीं कर पा रहा है। वहीं, कई देशों के नेताओं की अनुपस्थिति के कारण इसकी एकता पर सवाल उठ रहे हैं।
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