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Pahalgam Terror Attack Update: सिंधु जल संधि पर भारत के ‘वॉटर बम’ से तिलमिलाया पाकिस्तान, शिमला समझौते से हटने की धमकी – शहबाज़ शरीफ़ पर बढ़ा दबाव!

भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर से तनातनी का माहौल बनता दिख रहा है। इस बार विवाद का केंद्र बना है "सिंधु जल संधि", जिसे लेकर भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है। भारत की तरफ से उठाए गए नए कदम को पाकिस्तान में 'सिंधु वाटर बम' करार दिया जा रहा है,

Pahalgam Terror Attack Update: भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बार फिर से तनातनी का माहौल बनता दिख रहा है। इस बार विवाद का केंद्र बना है “सिंधु जल संधि”, जिसे लेकर भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है। भारत की तरफ से उठाए गए नए कदम को पाकिस्तान में ‘सिंधु वाटर बम’ करार दिया जा रहा है, जिससे इस्लामाबाद की सियासत में हलचल मच गई है।

भारत का रुख और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

हाल ही में भारत ने सिंधु जल संधि के तहत अपने जल संसाधनों पर नियंत्रण मजबूत करने के संकेत दिए हैं। भारत ने उन परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना शुरू किया है जो पहले पाकिस्तान की आपत्तियों के चलते रुकी हुई थीं। इससे पाकिस्तान को डर है कि भारत की योजना सिंधु नदी के पानी के बहाव को सीमित करने की है, जो कि पाकिस्तान की कृषि और बिजली आपूर्ति के लिए जीवनरेखा है।

इस कार्रवाई को पाकिस्तान में ‘जल कूटनीति’ का हथियार माना जा रहा है, जिससे वहां की सरकार और खासकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर भारी दबाव बन गया है।

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शिमला समझौते से हटने की चेतावनी

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान इस कदम के जवाब में 1972 के शिमला समझौते से खुद को अलग करने पर विचार कर रहा है। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद हुआ था, जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता से हल करने की बात कही गई थी।

अगर पाकिस्तान शिमला समझौते से हटता है, तो यह दोनों देशों के संबंधों में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इससे कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिशें तेज़ हो सकती हैं, जो भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती बन सकती हैं।

शहबाज शरीफ पर बढ़ता आंतरिक दबाव

इस मुद्दे पर पाकिस्तान में राजनीतिक दलों और कट्टरपंथी संगठनों ने सरकार पर कार्रवाई की मांग तेज़ कर दी है। शहबाज शरीफ के विरोधियों का कहना है कि सरकार भारत के खिलाफ “बहुत नरम” रवैया अपना रही है और देश के जल हितों की रक्षा करने में असफल रही है।

हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि संसद में शिमला समझौते पर दोबारा विचार और भारत से संबंधों की समीक्षा की मांग की जा रही है।

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भारत का पक्ष

भारत का कहना है कि वह सिंधु जल संधि का सम्मान करता है, लेकिन पाकिस्तान बार-बार इस संधि के दुरुपयोग की कोशिश करता रहा है। भारत का दावा है कि वह केवल अपने हिस्से के पानी का उपयोग कर रहा है, जो कि समझौते के तहत पूरी तरह वैध है।

इसके अलावा, भारत ने सिंधु जल समझौते के “पुनरीक्षण” की बात भी कही है, ताकि यह वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके।

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हमेशा से एक संवेदनशील विषय रहा है। मौजूदा हालात में यह एक बार फिर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक टकराव का कारण बन गया है। अगर पाकिस्तान शिमला समझौते से हटने जैसा कोई बड़ा कदम उठाता है, तो यह पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर प्रभाव डाल सकता है।

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Internet Desk

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