नई दिल्ली। एक पुरानी कहावत है कि भूखा पेट हमें सबसे बड़ी सीख दे जाता है। यह बात इन दिनों पाकिस्तान के बारे में बिल्कुल सटीक बैठ रही है। तंगहाली, बेरोजगारी व भूखमरी से जूझ से पाकिस्तान के शासकों के अब सुर बदलते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार में बैठे लोगों को समझ आ गया है कि आतंकवाद की राह केवल बर्वादी ही लाती है। इसलिए Pakistan PM शहबाज शरीफ अब मानवतावादी बयान देने में लगे हैं।
पाकिस्तान PM शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के ही एक टीवी चैनल को दिये साक्षात्कार में पाकिस्तान के हालात का दर्द बयां किया। इस साक्षात्कार में उनका भारत के प्रति सकारात्मक रुख नजर आया। ऐसा इसलिए है कि आतंकवादियों को पालने और खुद को परमाणु शक्तिशाली देश बनाने के चक्कर में वह पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। पाकिस्तान इस समय बदहाली से गुजर रही है। 22 करोड़ की जनता के अब दो जून की रोटी तक नसीब होना मुहाल हो रहा है।
एक तरह से पाकिस्तान के हालात इतने खराब हैं कि वहां की सरकार अपनी जनता को आटा तक मुहैय्या कराने में नाकाम साबित हो रही है। पाकिस्तान पर विदेशों का भारी कर्ज है। इस कर्ज की ब्याज की रकम चुका चुका पाना मुश्किल हो रहा है। वहां की अधिकांश जनता को समय पर भरपेट खाना तक नसीब नहीं हो पा रहा है।
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पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्वीकार किया है कि कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान और भारत में हमेशा तनातनी रही है। पाकिस्तान के भारत के साथ तीन युद्ध हुए हैं। तीनों में ही पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है। इन युद्धों में भारी आर्थिक नुकसान के कारण ही पाकिस्तान में गरीबी ओर बेरोजगारी बढी है।
शहबाज ने स्वीकार किया कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व में भारत दुनिया के मजबूत देशों में शुमार हुआ है। उन्होने कहा कि हमें भारत से अपने संबंध सुधारने के लिए बातचीत करनी चाहिए। उन्होने कहा कि कश्मीर में जो हो (आतंकवादी घटनाएं) रहा है, वह बंद हो जाना चाहिए। कश्मीर में मानवाधिकारों को पालन करना चाहिए।
दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जान चुके हैं कि उनका देश बर्बादी की कगार पर खड़ा है। भारत ने अपनी सेना को बहुत मजबूत कर लिया है। इशारे ही इशारों में भाजपा के कई नेता जल्द ही पीओके (POK) लेने की बात कह चुके हैं। इसलिए पाकिस्तान को डर है कि यदि अब चौथी बार यदि भारत-पाक का युद्ध हुआ तो पाकिस्तान के सर्वनाश तय है। इसलिए शहबाज डरे हुए हैं और वे अब भारत के साथ हर मुद्दे पर मिल बैठकर समाधान चाहते हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या पाकिस्तान की नीयत वाकई ही साफ हो गयी है या फिर उसे भारत का अधीनस्थ स्वीकारने में ही भलाई नजर आ रही है। बहराल भारत-पाकिस्तान के संबंधों में क्या वाकई कोई सुधार होते हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल इतना जरुर है कि पाकिस्तान ने अप्रत्यक्ष रुप से कश्मीर के मुद्दे पर भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।