Status and Reviewing of Drinking Water india: देश के अमृत काल में गंदा और जहरीला पानी पीने को अभिशप्त है लोग!
![People are cursed to drink dirty and poisonous water during the nectar period of the country.](http://newswatchindia.com/wp-content/uploads/2024/03/pani.png)
National Drinking Water Survey News! नेशनल ड्रिंकिंग वाटर सर्वे की हालिया रिपोर्ट बता रही है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश के लोगों को साफ़ पानी पीने को नहीं मिल रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि 485 शहरों में से मात्र 46 शहरों के लोगों को ही साफ़ पानी पीने को मिल रहा है बाकी शहरों के लोगों को गन्दा और जहरीला पानी पीकर ही रहना पड़ रहा है।
मजे की बात तो यह है कि यह आंकड़ा किसी विपक्षी दल का नहीं है। इसके साथ ही यह कोई गैर सरकारी संगठन ने आंकड़ा पेश नहीं किया है। सरकार कहती है कि सबको पीने के पानी का मुहैया कराने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। कई योजनाए भी चल रही है लेकिन अभी तक देश के लोगों को साफ़ पानी नहीं मिल रहा है।
केंद्रीय शहरी और आवास मंत्रालय के सचिव हैं मनोज जोशी। जोशी ने ही बताया है कि देश भर से 25000 सैम्पल चेक करने के बाद पता चला कि सिर्फ दस फीसदी शहरों के सैंपल ही सौ फीसदी के पास पास हुए हैं। इसको तैयार करने के लिए करीब पांच लाख से ज्यादा बातचीत भी गई है। जोशी ने यह भी कहा कि पानी की गुणवत्ता में कौन सा शहर आगे है और कौन शहर पीछे है इसकी रैंकिंग को तैयार किया जा रहा है और अगले सप्ताह इसे जारी किया जा सकता है।
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पत्रकारों से बात करते हुए जोशी ने कहा सितंबर 2022 में अटल मिशन के तहत यह सर्वे किया गया था। इस सर्वे में जीन शहरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है उसे पांच मार्च को राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा अवार्ड दिया जाएगा । इस सर्वे में 485 शहरों को जोड़ा गया था।जिन शहरों की आबादी कम से कम एक लाख से ज्यादा थी उन शहरों को इस सर्वे में शामिल किया गया था। इस सर्वे में पाया गया कि इनमे से 95 से सौ फीसदी ऐसे शहर हैं जहां पानी नल से नही मिल रहा है और कोई सुविधा नही है। जबकि सरकार की तरफ से हर शहर को नल की सुविधा से पानी देने की बात की गई थी। लेकिन ऐसा संभव नही हो सका है। देश के भीतर कुछ ही शहर ऐसे है जहां नल से पानी मिल रहा है और वह भी शुद्ध। ऐसे शहरों में पुणे, नागपुर, सूरत, नवी मुंबई और कोयंबटूर जैसे शहर हैं ।
इस सर्वे रिपोर्ट से अब साफ हो गया है कि हम भले ही बड़ी बड़ी बात तो करते है लेकिन जो मौलिक चीजे है वह भी आजतक लोगों को मुहैया नही है। सरकार देश को दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रही है सपने तो विकसित राष्ट्र बनाने के दिखाई जा रहे है लेकिन सच यही है कि जिस देश के लोगों को पीने के लिए साफ पानी भी उपबंध नही है वह आगे कितना बढ़ सका है यह सोचने की बात है।
मामला केवल पानी का ही नही है। शिक्षा और स्वस्थ को लेकर भी अभी देश की हालत काफी दयनीय है। कई राज्यों में तो शिक्षा का स्तर इतना नीचे गिरा हुआ है कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में जबतक देश के लोगों को मौलिक जरूरत की चीजें नही मिल जाती तब तक राजनीति के सारे खेल बेकार ही नजर आते हैं।