Pakistan: पाकिस्तान (Pakistan) में कंगाली का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, आए दिन पाकिस्तान को नए-नए संकटों का सामना करना पड़ रहा है। कभी बाढ़, कभी सूखा तो कभी पाकिस्तान की राजनीति हर कोई पाकिस्तान को आबाद करने के बजाए बर्बाद कर रहे है। ऐसे में पाकिस्तान की जनता संकटों को झेलते-झेलते बेहद परेशान हो गई है। ऐसे में अब पाकिस्तान पर एक और संकट आन पड़ा है। पाकिस्तान (Pakistan) पर अब महंगाई का पहाड़ टूटा है जिससे जनता का हाल बेहाल हो गया है और अब तो सब्जी तरकारी के साथ-साथ चीनी के बढ़ते दामों ने भी लोगों के होश उड़ा दिए है।
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पाकिस्तान में बड़े आर्थिक संकट के बीच बलूचिस्तान के खुदरा बाजारों में चीनी की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ उछाल आया है। चीनी 220 पाकिस्तानी रुपये (PKR) के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। अभी तक चीनी पहले से ही 200 रुपये/किलो बेची जा रही थी। लेकिन अब बलूचिस्तान में अचानक 20 रुपये और बढ़ गए है। जिसके साथ ही चीनी 220 रुपये के अभी तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है ।
‘ARY News’ द्वारा बाजार सूत्रों के हवाले से ये बताया गया है कि प्रांत में चीनी का थोक का भाव 210 रुपये/ किलो है, जबकि 50 किलोग्राम की बोरी 10,500 रुपये तक पहुंच गई है।
डीलरों के अनुसार, परमिट के निलंबन (suspension) के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों के फंसने की वजह से चीनी की आपूर्ति निलंबित हुई, जिसके बाद वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी की कीमतें में अचानक बढ़ने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया है।
आपको बता दें कि इससे पहले सूत्रों ने दावा किया था कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने पाकिस्तान (Pakistan) में चीनी की कमी से इनकार किया है। यह स्पष्टीकरण सूत्रों के इस दावे के बाद आया था कि ब्राजील से पाकिस्तान (Pakistan) चीनी को आयात करने की मांग कर रहा है।
संघीय सरकार 220 रुपये/किलो के बढ़े दामों पर चीनी का आयात करेगी, और इसका पूरा बोझ आबादी पर डाल दिया जाएगा, जो पहले से ही महंगाई की मार झेल रही और हद से ज्यादा बढ़ी कीमतों का भुगतान करने के लिए मजबूर होगी।
अधिकारियों के पास एकमात्र ऑप्शन समस्या को कम करने के लिए अधिशेष स्टॉक (surplus stock) का इस्तेमाल करना है। हालांकि, ऐसा करने से आयत की गई चीनी बाजार में बेची जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं को चीनी के लिए 100 रुपये/ किलो की आधिकारिक राशि के बजाय 220 रुपये/ किलो का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।