प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार को कर्नाटक में बांदीपुर और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व का दौरा किया. प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के मौके पर उन्होंने बांदीपुर टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी का आनंद उठाया. पीएम रविवार सुबह बांदीपुर बाघ अभयारण्य गए और फिर वहां से थेप्पाकडू के एलिफैंट कैंप पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी (pm modi)ने यहां बाघ अभयारण्य के थेप्पक्कडू शिविर में कुछ हाथियों को गन्ना भी खिलाए. पीएम (PM) ने 50 साल पहले किए गए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ (project tiger) की सालगिरह पर एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (primeminister narander modi) ‘अमृत काल’ के दौरान बाघ संरक्षण के लिए सरकार का दृष्टिकोण भी पेश करेंगे. पीएम मोदी(PM Modi) इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस की शुरुआत भी करेंगे.
दौरा करने के दौरान पीएम मोदी एक खास लुक में नजर आए है मोदी ने सिर पर हैट, बदन पर टाइगर प्रिंट टी-शर्ट और खाकी रंग की पैंट पहना हुआ दिखाई दे रहे है साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी अपने पैरों में काले जूते और एडवेंचर गॉलेट स्लीवलेस जैकेट(adventure golet sleeveless jacket)हाथ में लटकाए हुए है. मोदी का नया लुक उन्हें सबसे अलग और सबसे खास बना रहा था. इस दौरान मे हाथी गन्ना खिलाते हुए भी नजर आये.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अपनी गाड़ी से उतरकर जंगल सफारी में सनगालस्से (sunglasses) लगाकर सवार हुए और टाइगर रिजर्व में एंट्री की. इसी अंदाज में आज पीएम मोदी सफारी यात्रा का आनंद उठाया. प्रधानमंत्री मोदी बांदीपुर टाइगर रिजर्व(bandipur tiger reserve) में फ्रंटलाइन फील्ड स्टाफ और स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की उन्होंने मुदुमलाई बाघ अभयारण्य में थेप्पाकडू हाथी शिविर का भी दौरा करने के दौरान हाथी शिविर के महावतों और ‘कावड़ियों’ से बातचीत की.
पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) आईबीसीए की शुरूआत करेंगे इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस दुनिया की 7 बडी बिल्लियां -बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, पुमा, जगुआर और चीता पाए जाते हैं. यह संगठन इन पशुओं के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगा.
ये भी पढ़े… Central Governemnt: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए DA को लेकर आई सरकार की तरफ से बडी खुशखबरी
‘प्रोजेक्ट टाइगर'(project tiger) के प्रमुख ने बताया कि इंडिया का लक्ष्य विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए वैज्ञानिक रूप से आंकी गई आवासन क्षमता के आधार पर एक व्यवहार्य बाघ आबादी को बनाए रखना है.