Modern Agriculture in Chamoli: चमोली में पॉलीहाउस बना किसानों की तरक्की का माध्यम, बेमौसमी खेती से बढ़ा मुनाफा
चमोली जिले में किसानों को सरकारी योजनाओं के तहत 80% अनुदान पर पॉलीहाउस उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 900 से अधिक किसान सब्जियों और फूलों की आधुनिक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार साबित हो रही है।
Modern Agriculture in Chamoli: उत्तराखंड का चमोली जिला अब खेती में आधुनिक तकनीकों के जरिए नई पहचान बना रहा है। जिले में उद्यान विभाग द्वारा चलाए जा रहे पॉलीहाउस कार्यक्रम किसानों के लिए न सिर्फ लाभकारी साबित हो रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर भी ले जा रहे हैं। विभाग की योजनाओं के तहत अब तक जिले में 900 से अधिक किसानों को पॉलीहाउस की सुविधा दी जा चुकी है, जिनमें सब्जियों और फूलों की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
अनुदान पर मिल रहा पॉलीहाउस, बढ़ रही किसानों की आमदनी
चमोली जिले में चल रही इस योजना के अंतर्गत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर पॉलीहाउस मुहैया कराए जा रहे हैं। यह सुविधा नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना के तहत दी जा रही है। किसान अपनी जमीन पर 50 से 500 वर्ग मीटर तक के पॉलीहाउस लगाकर सब्जियां, फूल और अन्य फसलें उगा रहे हैं, जिनकी मांग बाजार में लगातार बनी हुई है। विभागीय अधिकारी पीवीडीओ योगेश भट्ट ने जानकारी दी कि अब तक 100 से अधिक किसानों को पॉलीहाउस का लाभ दिया जा चुका है और योजना का लाभ पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिया जा रहा है।
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तकनीकी सहायता से मिल रहा बेहतर परिणाम
पॉलीहाउस योजना के तहत किसानों को सिर्फ संरचना ही नहीं, बल्कि तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है। उन्हें मौसम के अनुसार फसल चयन, उन्नत बीजों, सिंचाई पद्धति और कीट नियंत्रण जैसी तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। योगेश भट्ट ने बताया कि अब तक 37 किसानों ने आवेदन दिए हैं, जिनमें से 23 किसानों को पॉलीहाउस प्रदान किए जा चुके हैं, बाकी के आवेदनों पर कार्रवाई चल रही है। योजना से जुड़े किसानों का कहना है कि उन्हें न सिर्फ सरकार का सहयोग मिल रहा है, बल्कि उत्पादन में भी दोगुनी बढ़ोतरी हुई है।
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पॉलीहाउस से बेमौसमी खेती और सुरक्षित फसल
चमोली के नौली गांव के किसान देवेंद्र ने बताया कि पॉलीहाउस लगाने के बाद उन्होंने बेमौसमी सब्जियों की खेती शुरू की है। इन सब्जियों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है और उनकी मांग साल भर बनी रहती है। इसके अलावा, पॉलीहाउस संरचना के कारण जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान नहीं होता, जिससे उत्पादन सुरक्षित रहता है।
फूलों की खेती से स्वरोजगार को मिली नई दिशा
चमोली के ही रौली गांव के युवा किसान नीरज ने बताया कि उन्होंने पॉलीहाउस के माध्यम से लिलियम के फूलों की खेती शुरू की है। उद्यान विभाग की मदद से उन्हें इस खेती में तकनीकी सहयोग मिला है, जिससे वे बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले फूल बेच पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि लिलियम की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और उन्होंने इसे स्थायी स्वरोजगार के रूप में अपनाया है।
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योजना से गांवों में लौट रही खुशहाली
पॉलीहाउस योजना का प्रभाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी देखा जा रहा है। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं। खासतौर पर युवा वर्ग अब खेती को व्यवसायिक रूप में अपनाने की ओर अग्रसर हो रहा है।
चमोली जिले में पॉलीहाउस योजना ने कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। सब्जियों और फूलों की उन्नत खेती कर किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं और तकनीकी सहयोग से यह क्षेत्र अब खेती के आधुनिक मॉडल के रूप में सामने आ रहा है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों की आर्थिकी को भी मजबूती मिल रही है।
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