Maharashtra news: महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर वैसे भी सुप्रीम कोर्ट अलर्ट है। इस महीने के अंतिम दिन बहुत कुछ फैसला हो सकता है। शिंदे और पवार की पार्टी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है लेकिन सरकार आगे बढ़ रही है। बीजेपी का खेल चल रहा है और बीजेपी इस खेल में आगे बढ़ती भी दिख रही है। हालिया घटना लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के द्वारा सीट बंटवारे को लेकर है। महाराष्ट्र एनडीए में अभी चार पार्टी शामिल है। एक तो खूब बीजेपी है और बाकी की पार्टियां हैं। शिवसेना शिंदे गुट ,एनसीपी अजित पवार गुट और अठावले की पार्टी। इसके अलावा भी कुछ और पार्टियां बीजेपी के टच में है। खेल यही है कि लोकसभा चुनाव में अब भले ही कुछ और पार्टियों को कोई सीट नहीं मिले लेकिन विधान सभा चुनाव में बीजेपी कई और पार्टियों को सीट दे सकती है।
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लेकिन हाल में बीजेपी ने जो खेल किया है उससे एनडीए के बाकी दाल अलर्ट हो गए हैं। महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 26 सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसकी घोषणा भी कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि बची 22 सीटों पर अजित पवार की एनसीपी और शिंदे गुट वाली शिवसेना चुनाव लड़ेगी। अठावले की पार्टी को कोई सीट नहीं मिलेगी। विधान सभा चुनाव में अठावले की पार्टी को टिकट दी जाएगी। यह सब बीजेपी की समझ है। लेकिन जैसे ही फडणवीस ने सीटों की घोषणा की बाकी के दाल अलर्ट हो गए। कानाफूसी शुरू हो गई। कुछ बयान भी सामने आये। शनिवार को अजित पवार ने बीजेपी के इस बयान पर नाराजगी जताई। अजित पवार की नाराजगी के बाद फडणवीस ने अपने बयान को वापस तो ले लिया लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई। अब आगे क्या होगा इसे देखने की बात है।
बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना साथ होकर चुनाव लड़े थे। बीजेपी 25 सीटों पर जबकि शिवसेना 23 सीटों पर उतरी थी। बीजेपी जहां 23 सीटों पर सफलता पाई थी वही शिवसेना 18 सीटों को जीतने में सफल हो गई थी। लेकिन अब शिवसेना भी बांट गई और एनसीपी भी बांट गई है। ऐसे में शिंदे पिछली बार की तरह ही इस बार भी 23 सीटों की मांग कर रहे हैं जबकि एनसीपी अपनी ताकत के मुताबिक 17 सीटों की मांग कर रही हैं। सीटों की यह मांग आगे कहां तक चलेगी यह देखना होगा। लेकिन इतना तय है कि बीजेपी और शिवसेना एनसीपी के बीच सीटों को लेकर बड़ी लड़ाई होनी तय है।
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बीजेपी जानती है कि शिंदे की शिवसेना भले ही असली शिवसेना है लेकिन उसके पास वोट बैंक नहीं है। असली वोट बैंक तो उद्धव शिवसेना के पास है। बीजेपी यह भी जानती है कि अजित पवार भले ही आज दल बल के साथ बीजेपी की सहयोगी पार्टी बने हुए हैं लेकिन उनके पास भी बहुत से वोट नहीं है। एनसीपी का वोट बैंक तो शरद पवार के पास है। यही वजह है बीजेपी इन दोनों पार्टियों को 11 -11 लोकसभा की सीटें ही देना चाहती है। लेकिन ये दोनों पार्टियां ऐसा नहीं चाहती। आगे क्या होगा कोई नहीं जनता। अभी तो शिंदे की पार्टी को लेकर फैसला ही होना है। अजित पवार की पार्टी के विधायकों पर भी तलवार लटकी हुई है। कानूनी पेंच में शिंदे की सरकार फांसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट की निगाह भी लगी हुई है। विधान सभा स्पीकर नार्वेकर भी परेशानी में हैं। ऐसे में अभी सीट बंटवारे को लेकर क्या कुछ होगा कहना मुश्किल है। लेकिन इतना साफ़ है कि महास्त्र एनडीए में सब कुछ साफ़ नहीं है।