क्या राम भक्त हनुमान को भी कोई कैद कर सकता है ? लेकिन सच तो यही है कि भारत के कण -कण में बसने वाले हनुमान जी वर्षो तक अदालती चक्कर में फंसकर पुलिस के कैदी बने रहे। और अब 29 वर्षो के बाद उनकी रिहाई हो पायी है। रिहाई होते ही ग्रामीण वासी ढोल नगाड़ों के साथ उनकी आगवानी की और बड़े ही आदर के साथ उनकी स्थापना मंदिर में की गई।
यह कहानी बिहार के भोजपुर जिले के कृष्णगढ़ थाना की है। कहानी लम्बी है। जानकारी के मुताबिक़ 29 साल पहले भोजपुर जिले के गुंडी गांव स्थित भगवान् रंगनाथ मंदिर से हनुमान जी और बरबर स्वामी की मूर्तियां चोरी हो गई थी । स्थानीय पुलिस काफी समय तक इसकी खोज करती रही। बाद में पुलिस को पता चला कि जिले के गौसगंज के पास के एक कुंए में मूर्तियां हो सकती है। कुएं की पड़ताल की गई तो दोनों मूर्तियां मिल गई। चोरों ने पुलिस के डर से मूर्तियों को कुएं में डाल दिया था। मूर्तियां बरामद हो गई। लेकिन मामला अदालत में चलता रहा। मूर्तियों को कृष्णगढ़ थाना के मालखने में रखा गया था।
लेकिन पिछले मंगलवार 28 मार्च को जिला एवं सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया और मूर्तियों को ग्रामीणवासी को सौपने का निर्णय दिया। फिर मालखाने से मूर्तियां निकाली गई और साफ़ -सफाई कर पूजा अर्चना की गई। फिर थाना द्वारा मंदिर के पुजारी को मूर्तियां सौप दी गई। फिर क्या था। गांववालों ने मूर्तियों को गाजे बाजे के साथ मंदिर में मूर्तियों को स्थापित किया।
ये भी पढ़े…इस महाअष्टमी पर बन रहा बेहद शुभ ग्रह-संयोग, सिंगल लड़के लड़कियों को मिल सकता है लाइफ पार्टनर
अब मंदिर की सुरक्षा के लिए दो चौकीदारों की बहाली कर दी गई है। इधर रामनवमी के पावन पर्व पर मंदिर की स्थापना से गांव के लोग काफी खुश हैं। मंदिर में मेला का आयोजन है और भक्तिमय वातवरण से पूरा गांव और आस पास के लोगो में ख़ुशी का माहौल है। सब यही कह रहे हैं कि हनुमान जी की रिहाई हो गई। अब वे आजाद हैं। वे प्रभु राम की सेवा में लग गए हैं।