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Retired Army Officer: बिरगण गांव का गौरव, पूर्व कर्नल यशपाल सिंह नेगी निर्विरोध चुने गए ग्राम प्रधान

पौड़ी के बिरगण गांव में रिटायर्ड कर्नल यशपाल सिंह नेगी को ग्राम प्रधान निर्विरोध चुना गया है। उन्होंने सेना से सेवा निवृत्ति के बाद खेती और सामाजिक सेवा को अपना उद्देश्य बनाया। उनका जीवन युवाओं और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

Retired Army Officer: पंचायत चुनावों के बीच पौड़ी जनपद के बीरोंखाल ब्लॉक का बिरगण गांव इन दिनों एक सकारात्मक मिसाल बनकर उभर रहा है। इस गांव ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को एक नई दिशा देते हुए अपने ग्राम प्रधान को निर्विरोध चुन लिया है। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त कर्नल यशपाल सिंह नेगी को गांववासियों ने बिना किसी प्रतिद्वंदी के अपना नेतृत्व सौंपा है। उन्होंने 2 जुलाई को नामांकन पत्र दाखिल किया और चूंकि उनके खिलाफ किसी ने भी पर्चा नहीं भरा, वे निर्विरोध रूप से ग्राम प्रधान चुने गए हैं।

सेना से सेवा, अब गांव की सेवा

कर्नल यशपाल सिंह नेगी का जीवन राष्ट्र सेवा और सामाजिक योगदान का एक प्रेरक उदाहरण है। उन्होंने 1981 में भारतीय सेना में गढ़वाल राइफल्स के जवान के रूप में भर्ती होकर सेवा की शुरुआत की। बाद में वे भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षण प्राप्त कर सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में आर्मी ऑर्डनेंस कोर में कमीशन प्राप्त किए। लंबे सैन्य करियर के बाद 2016 में उन्होंने कर्नल के पद से सेवानिवृत्ति ली। इसके बाद भी उन्होंने चार वर्षों तक पुनः सेवा देकर देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया।

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खेती को बनाया जीवन का उद्देश्य

सेना से पूरी तरह से सेवानिवृत्त होने के बाद कर्नल नेगी ने अपने गांव में बसने और वहां खेती-बाड़ी और समाजसेवा में लगने का निर्णय लिया। उन्होंने पत्नी के साथ मिलकर 45 नाली बंजर भूमि को खेती योग्य बनाया और वहां मंडुवा, मक्का, जौ, सरसों सहित कई पारंपरिक फसलें उगाना शुरू किया। उनका मानना है कि गांव की मिट्टी से जुड़ाव और पारंपरिक खेती को पुनर्जीवित करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी

कर्नल नेगी सिर्फ खेती ही नहीं कर रहे, बल्कि वे समाज सेवा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। वे जयानंद भारतीय जिला संघर्ष समिति, बीरोंखाल के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण संगठन, बैजरो के प्रमुख, और पर्वतीय कृषक-बागवानी उद्यमी संगठन के सक्रिय सदस्य हैं। उनकी ये भूमिकाएं यह दर्शाती हैं कि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

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गांववासियों का विश्वास

बिरगण गांव के करीब 350 निवासियों ने एकमत होकर उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है। यह निर्णय न केवल कर्नल नेगी की प्रतिष्ठा और योगदान का सम्मान है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि ग्रामीण समाज अब जिम्मेदार और अनुभवी नेतृत्व को प्राथमिकता देने लगा है। निर्विरोध चुना जाना ग्रामवासियों की एकजुटता और विश्वास का प्रतीक है।

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युवाओं के लिए प्रेरणा

कर्नल नेगी के तीन बच्चे—दो बेटियां और एक बेटा—सभी अच्छे पदों पर कार्यरत हैं, बावजूद इसके उन्होंने गांव में रहकर स्वावलंबन और समाज सेवा का मार्ग चुना। उनका जीवन संदेश देता है कि ग्रामीण भारत में रहकर भी विकास और बदलाव की मिसाल पेश की जा सकती है। वे आज कई युवाओं के लिए एक आदर्श बन गए हैं।

बिरगण गांव का यह उदाहरण दिखाता है कि यदि किसी व्यक्ति में ईमानदारी, अनुभव और समाज के प्रति समर्पण हो तो लोग उसे बिना किसी विरोध के नेतृत्व सौंप देते हैं। रिटायर्ड कर्नल यशपाल सिंह नेगी का यह निर्णय और गांववासियों का उनके प्रति विश्वास न केवल गांव के लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए सकारात्मक प्रेरणा है। यह साबित करता है कि सेवा का जज़्बा वर्दी उतारने के बाद भी ज़िंदा रह सकता है।

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