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Chardham Yatra Safety: उत्तराखंड चारधाम हेलीकॉप्टर सेवा पर उठे सवाल, 40 दिनों में 5 हादसे, 13 की मौत

चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसों की बढ़ती संख्या ने सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते 40 दिनों में पांच दुर्घटनाओं में 13 लोगों की जान गई है। अब सरकार हेली सेवाओं की निगरानी और तकनीकी सुधार के लिए सख्त कदम उठा रही है।

Chardham Yatra Safety: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बीते 40 दिनों में पांच अलग-अलग हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 13 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे हालिया हादसा 15 जून को आर्यन एविएशन के हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते वक्त हुआ, जिसमें सात यात्रियों की मौत हो गई। यह दुर्घटना गौरी माई खर्क के जंगलों में हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इस हादसे को गंभीरता से लिया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की। यह सब दर्शाता है कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर हेली सेवाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।

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उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर सेवाओं की शुरुआत 2003 में हुई थी। पहले केवल एक कंपनी सीमित उड़ानें संचालित करती थी, लेकिन अब यात्रा काल में नौ कंपनियां एक दिन में औसतन 1500 यात्रियों को चारधाम पहुंचा रही हैं। हालांकि, सेवाओं का यह विस्तार हादसों की बढ़ती संख्या के साथ सवालों के घेरे में है। पिछले 12 वर्षों में 38 लोग हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं।

तकनीकी खामियां या लापरवाही?

देहरादून निवासी एविएशन एक्सपर्ट और रिटायर्ड एयर फोर्स अधिकारी उत्तम कुमार का मानना है कि इन हादसों का मुख्य कारण मानकों की अनदेखी है। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टरों को हेलीपैड पर इंजन बंद करके यात्रियों को चढ़ाना-उतारना चाहिए, लेकिन उत्तराखंड में कंपनियां इन मानकों की अनदेखी कर रही हैं। उड़ानों की अधिकता, रखरखाव की कमी और पायलट की थकावट भी हादसों का कारण बन रहे हैं।

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एटीसी की जरूरत और कमी

एक बड़ा मुद्दा एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की अनुपस्थिति है। उत्तम कुमार का कहना है कि इतनी भारी संख्या में उड़ानों के बावजूद यहां ATC की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। ATC का कार्य उड़ान भरने से लेकर लैंडिंग तक पायलट के साथ संपर्क में रहकर दिशा-निर्देश देना होता है। यह सिस्टम मौसम, रूट और अन्य विमानों की स्थिति की जानकारी देता है, जिससे टकराव की स्थिति को टाला जा सकता है।

राज्य सरकार की पहल

राज्य सरकार ने अब इस दिशा में गंभीरता दिखाई है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपैड पर ‘इंटीग्रेटेड कॉमन कम्युनिकेशन सेंटर’ स्थापित किया जाएगा। इसमें सभी संबंधित एजेंसियों को एक ही छत के नीचे बैठाया जाएगा ताकि समन्वय बेहतर हो सके। इस केंद्र की अगुवाई गृह सचिव करेंगे और DGCA, यूकाडा, हेली कंपनियों सहित सभी हितधारकों को इसमें शामिल किया जाएगा।

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डीजीसीए और यूकाडा की भूमिका

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) देश में हवाई सेवाओं के संचालन और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है। यह पायलटों और एयरक्राफ्ट को लाइसेंस देता है और हवाई सेवाओं की मान्यता सुनिश्चित करता है। वहीं, उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) राज्य में हेलीपैड निर्माण, पर्यटन को बढ़ावा देने और हेली सेवाओं की योजना संबंधी काम करता है।

मेंटेनेंस और जांच की जरूरत

उत्तम कुमार के अनुसार पायलट तो अत्यधिक प्रशिक्षित होते हैं, लेकिन टेक्निकल स्टाफ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। हेलीकॉप्टरों की समय-समय पर तकनीकी जांच और जरूरी पार्ट्स का बदलाव सुनिश्चित करना जरूरी है। पैसे कमाने की होड़ में मेंटेनेंस की अनदेखी खतरनाक साबित हो सकती है।

चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सुविधा है, लेकिन हालिया हादसों ने इसकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ATC की स्थापना, सख्त तकनीकी निरीक्षण और संचालन मानकों का पालन अब बेहद जरूरी हो गया है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम सराहनीय हैं, लेकिन इन्हें धरातल पर उतारना और सख्ती से लागू करना समय की मांग है।

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