नई दिल्ली: कहते हैं भगवान राम (Raja Ram Mandir Orchha) का नाम मूल रूप से अयोध्या से जुड़ा है.। यहां उनका जन्म हुआ और वो यहीं सरयू के आस-पास वास भी करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अयोध्या से अलग एक और पावन स्थान है, जहां भगवान राम हर रोज़ आते हैं और रात भर वहां रुककर सुबह अपने धाम को प्रस्थान करते हैं।
राम एक ऐसा नाम है जिसे लेते ही मन को बहुत शांति मिलती हैं। सोचिए जिसका नाम लेने मात्र से ही मन स्थिर हो जाता हो उनके दर्शन हो जाएं तो क्या होगा। और वो भक्त कैसा होगा जिसके पुकारने से भगवान श्रीराम अपने धाम अयोध्या को छोड़ उसके घर आकर रहे लगे हों।
वो मंदिर जहां भगवान राम देते हैं दर्शन
ये कहानी है मध्य प्रदेश में के ओरछा में रहने वाली एक पुजारन की जिनके पुकारने पर भगवान राम (Raja Ram Mandir Orchha) आज भी यहां आते हैं और ओरछा के राम राजा मंदिर में रात भर ठहरते हैं। बता दें कि ओरछा में मधुकर साहब नाम के राजा हुआ करते थे और उनकी रानी का नाम गणेश कुमारी था। राजा मधुकर कृष्ण भक्त थे और रानी गणेश कुमारी राम भक्त थीं। एक बार राजा श्रीकृष्ण जी की पूजा के लिए वृंदावन जाना चाहते थे और रानी गणेश कुमारी अयोध्या जाकर भगवान राम की पूजा करना चाहती थीं लेकिन राजा मधुकर साहब इस बात से नाराज़ हो गए।
उन्होंने रानी से कहा कि अगर आप सच्ची राम भक्त हैं तो भगवान राम को ओरछा में विराजमान करो। राजा के ये शब्द सुनकर रानी अयोध्या (Raja Ram Mandir Orchha) के लिए निकल गयीं। अयोध्या पहुंचकर रानी गणेश कुमारी ने यहां तपस्या शुरू कर दी। जब घोर तपस्या करने के दौरान भी जब भगवान राम नहीं आए तब रानी सरयू नदी में कूद गयीं।
अपनी भक्त की ये दशा देख भगवान् राम को प्रकट होना पड़ा और फिर उन्होने रानी को बचा लिया। रानी की सच्ची भक्ति देखकर श्रीराम प्रसन्न हुए और आखिरकार भक्त के सामने विवश भगवान रानी के साथ उनके महल में विराजमान होने के लिए चल दिए। मान्यता है कि तभी से ओरछा के महल में हर रोज भगवान राम आते हैं।
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भगवान राम ने रखी ये शर्त
रानी के साथ ओरछा जाने से पहले भगवान राम ने तीन शर्ते रखीं थीं। इसमें पहली शर्त थी कि मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा। दूसरी शर्त में श्री राम ने कहा कि मैं ओरछा में राजा के रूप में विराजित हो जाऊंगा और इसके बाद वहां किसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी। इसके बाद तीसरी और आख़िरी शर्त में उन्होंने खुद को बाल रूप में पैदल एक खास पुष्य नक्षत्र में साधु संतों को साथ ले जाने को कहा। महारानी से अपनी शर्ते मनवाने के बाद भगवान राम ओरछा आ गए जिसके बाद से भगवान यहां राजा के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि भगवान राम के अयोध्या और ओरछा दोनों स्थानों पर रहने की पुष्टि राम राजा मन्दिर में लिखा दोहा आज भी करता है।
अयोध्या में श्री राम की जीवंत स्मृतियों में भले ही विवाद का विषय रहा हो लेकिन ओरछा की स्मृतियों में वह यहां के जनजीवन में हैं, धड़कनों में बसते हैं कहीं कोई विवाद नहीं है। अयोध्या में कोई भी विवाद रहा हो ,किसी भी फैसले पर ओरछा में राम की उपस्थित ठीक उसी तरह निर्विवाद है जैसे हर व्यक्ति के मन में आराध्य राम विराजमान हैं। ओरछा के लोगों का कहना है कि यहां के श्री राम हिन्दुओं के भी हैं और मुसलमानों के भी हैं। यहां की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां श्री राम को चार बार की आरती में सशस्त्र सलामी “गार्ड ऑफ ऑनर” दी जाती है क्योंकि राम यहां राजा के रूप में विराजे गए हैं।