Rajasthan Congress: राजस्थान कांग्रेस में सुलह का सूरज, गहलोत-पायलट की जुगलबंदी ने बदली सियासी हवा
राजस्थान की सियासत में वर्षों से चला आ रहा अशोक गहलोत और सचिन पायलट का मतभेद अब खत्म होता दिख रहा है। दौसा में राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर दोनों नेताओं का एक मंच पर आना और सौहार्द्रपूर्ण संदेश देना, कांग्रेस के लिए नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।
Rajasthan Congress: राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की तकरार अब सुलझती दिख रही है। दोनों दिग्गज नेता न केवल सार्वजनिक मंच पर एक साथ दिखे, बल्कि अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर आगे बढ़ने का स्पष्ट संदेश भी दिया। 11 जून को दौसा में आयोजित राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम में दोनों नेता एक मंच पर आए और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता की नई उम्मीद जगा दी।
2018 से जारी आपसी तनाव और राजनीतिक खींचतान के बाद गहलोत और पायलट का हाथ मिलाना राजस्थान कांग्रेस के भीतर गुटबाजी पर विराम लगाने की कोशिश माना जा रहा है। इस आयोजन में प्रदेश कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए, जिससे पार्टी के भीतर सामूहिक नेतृत्व का संदेश और मजबूत हुआ।
गहलोत बोले- ‘हम तो कभी अलग थे ही नहीं’
राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर मीडिया से बातचीत में अशोक गहलोत ने पुराने विवादों को सिरे से नकारते हुए कहा, “मैं और पायलट कब अलग थे? हम तो हमेशा से साथ हैं और दोनों में खूब मोहब्बत भी है। अनबन की खबरें तो बस मीडिया चलाती रहती है। हम कभी दूर थे ही नहीं, हमारे बीच प्यार मोहब्बत बनी रहेगी।” इस मौके पर सचिन पायलट ने भी एक इंटरव्यू में कहा कि “अब रात गई बात गई, हमें आगे बढ़ना है।” दोनों नेताओं के ऐसे बयान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए सुकून और ऊर्जा का स्रोत बने हैं।
कांग्रेस नेताओं ने जताई खुशी
सचिन पायलट के करीबी और पूर्व मंत्री हेमा राम चौधरी ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत साथ आ गए हैं। इन दोनों नेताओं के हाथ मिलाने के बाद हम अब अगला चुनाव जीत सकते हैं।” कार्यक्रम में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जैसे गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली और पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा मौजूद रहे, जो इस सियासी मेल-मिलाप को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
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जब पायलट पहुंचे गहलोत के घर
गहलोत और पायलट की यह नजदीकी अचानक नहीं आई। दरअसल, 7 जून को सचिन पायलट खुद अशोक गहलोत के जयपुर आवास पहुंचे थे और उन्हें अपने पिता की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया था। दोनों के बीच करीब एक घंटे की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद उनके संबंधों में नई गर्माहट की चर्चा शुरू हो गई थी।
2018 से चला आ रहा था विवाद
राजस्थान में कांग्रेस की 2018 की चुनावी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच खींचतान शुरू हो गई थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन हाईकमान ने गहलोत को कमान सौंपी और पायलट को उपमुख्यमंत्री पद पर संतोष करना पड़ा। यही बात उनके बीच विवाद का कारण बनी। 2020 में तो मामला इतना बिगड़ गया था कि पायलट ने बगावत कर दी थी। उस समय कांग्रेस सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गई थी और हाईकमान को दोनों नेताओं के बीच समझौता कराना पड़ा था।
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क्या अब खत्म होगी गुटबाजी?
गहलोत और पायलट की एकजुटता से अब उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान कांग्रेस एक बार फिर मजबूत होकर बीजेपी को चुनौती दे पाएगी। गुटबाजी से जूझती पार्टी के लिए यह मेलजोल भविष्य की रणनीति को धार दे सकता है।
हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि मतभेद पूरी तरह खत्म हो चुके हैं, लेकिन इतना तय है कि दोनों नेताओं के इस सकारात्मक कदम ने कांग्रेस के भीतर एक नई राजनीतिक चेतना जरूर जगा दी है।
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