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Rajasthan: जयपुर में ओला-उबर की अनिश्चितकालीन हड़ताल से यात्रियों को भारी दिक्कत, मोबाइल ऐप्स पर घंटों बाद भी नहीं हो रही कैब बुकिंग

Rajasthan: राजस्थान की राजधानी जयपुर में ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप आधारित कैब सेवाएं ठप पड़ गई हैं। एक जून की रात से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते लोग शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मोबाइल ऐप्स पर कैब बुकिंग नहीं हो रही है।

Rajasthan: राजस्थान की राजधानी जयपुर में ओला, उबर और रैपिडो जैसी ऐप आधारित कैब सेवाएं ठप पड़ गई हैं। एक जून की रात से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते लोग शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मोबाइल ऐप्स पर कैब बुकिंग नहीं हो रही है।

यह हड़ताल राजस्थान ड्राइवर्स एसोसिएशन और क्रांतिकारी टैक्सी यूनियन से जुड़े हजारों चालकों द्वारा की गई है। प्रदर्शनकारी ड्राइवर कंपनियों की मनमानी, किराए में उचित हिस्सेदारी न मिलने और सामाजिक सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।

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कैब ड्राइवरों की हड़ताल ने बिगाड़ा जयपुर का ट्रैफिक संतुलन

शहर में अचानक से ओला, उबर और रैपिडो जैसी सेवाओं के बंद हो जाने से आम यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि वे घंटों तक ऐप पर कैब बुक करने की कोशिश करते रहे, लेकिन कोई वाहन उपलब्ध नहीं था। जो गाड़ियां उपलब्ध भी थीं, वे जरूरत से ज्यादा किराया मांग रही थीं।

संगठन का आरोप – ‘कंपनियां करती हैं मनमानी

राजस्थान ड्राइवर्स एसोसिएशन से जुड़े अजय सैनी ने कहा कि कैब कंपनियां जरा सी शिकायत पर ड्राइवर की आईडी ब्लॉक कर देती हैं। हमें किराए में भी वाजिब हिस्सा नहीं दिया जाता। हमने कई बार बातचीत की कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकला, इसलिए हमने अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता अपनाया है।

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चार प्रमुख मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे कैब चालक

ड्राइवरों ने चार प्रमुख मांगों को लेकर यह हड़ताल शुरू की है, जिनमें शामिल हैं. सरकार द्वारा न्यूनतम किराया सूची लागू की जाए। सभी कैब ऐप कंपनियों का जयपुर में स्थायी कार्यालय स्थापित हो।चालकों के लिए बीमा और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। निजी वाहनों को कैब ऐप्स से हटाया जाए। ड्राइवरों का कहना है कि जब तक इन मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, वे हड़ताल वापस नहीं लेंगे।

2023 में बना कानून, लेकिन अब भी अधर में हैं नियम

राजस्थान सरकार ने 2023 में गिग वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए कानून तो बनाया था, लेकिन अब तक उसके नियम नहीं बन पाए हैं। इसके चलते इस कानून का कोई व्यावहारिक फायदा इन ड्राइवरों को नहीं मिल रहा। सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए नियमों को जल्द लागू करने की मांग की है।

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आम लोगों की बढ़ी परेशानी

जयपुर के रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और ऑफिस इलाकों में हड़ताल का असर सबसे ज्यादा देखा गया। यात्रियों को न सिर्फ लंबा इंतजार करना पड़ा, बल्कि उन्हें मनमाने दाम पर ऑटो या प्राइवेट टैक्सियों का सहारा लेना पड़ा।

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