RBI MPC Meeting: खुशखबरी! अब लोन होंगे सस्ते, रेपो रेट को लेकर बड़ा ऐलान
आरबीआई की एमपीसी की तीन दिन की बैठक सोमवार को शुरू हुई थी। आज इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी जाएगी। माना जा रहा है कि रेपो रेट में एक बार फिर 25 बेसिस अंक की कटौती की जा सकती है। फरवरी में भी इतनी ही कटौती की गई थी। लेकिन बैंकों के फंड की लागत पर इसका असर दिखने में देरी हो सकती है।
RBI MPC Meeting: रेपो रेट में कमी से होम, कार, और पर्सनल लोन की ईएमआई कम होगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नए वित्तीय वर्ष (2024-25) की पहली बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की कटौती करते हुए इसे 6% कर दिया है। यह लगातार दूसरी बार है जब RBI ने रेपो रेट में कमी की है। इससे पहले फरवरी 2024 में भी 25 आधार अंकों की कटौती की गई थी, जो पिछले पांच वर्षों में पहली बार थी।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके कम होने से आपके होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की किस्त कम होती है। इस कटौती का सीधा असर बैंकों के लोन रेट पर पड़ेगा। होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे उधार सस्ते होंगे, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों को राहत मिलेगी।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने MPC की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया। उन्होंने कहा, “नया वित्तीय वर्ष वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच शुरू हुआ है। व्यापारिक चुनौतियों और अमेरिकी शुल्क नीतियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने मूल्य स्थिरता और विकास के मामले में अच्छी प्रगति की है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) चालू वित्त वर्ष में 6.5% रहने का अनुमान है, जबकि मुद्रास्फीति (महंगाई) 4% के लक्ष्य के करीब रहेगी।”
क्या है रेपो रेट और यह कटौती क्यों महत्वपूर्ण है ?
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रेपो रेट क्या होता है ?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब RBI रेपो रेट कम करता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है। इसका सीधा असर बैंकों की लोन दरों पर पड़ता है, जिससे ग्राहकों को कम ब्याज दर पर कर्ज मिलता है।
रिवर्स रेपो रेट क्या है ?
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों से अतिरिक्त धनराशि जमा करता है। MPC ने इसे 3.35% पर अपरिवर्तित रखा है।
रेपो रेट कटौती का आम आदमी और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
रेपो रेट में लगातार दूसरी बार की गई यह कटौती आम आदमी के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकती है:
सस्ते लोन: रेपो रेट कम होने से बैंकों की उधार लागत कम होती है, जिससे वे अपने ग्राहकों को भी कम ब्याज दरों पर लोन (जैसे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन) ऑफर कर सकते हैं। इससे मौजूदा लोन की ईएमआई (Equated Monthly Installment) कम हो सकती है और नए लोन लेना भी अधिक किफायती हो सकता है।
उपभोक्ता खर्च में वृद्धि: जब लोगों के पास लोन चुकाने के लिए कम पैसे जाते हैं, तो उनके पास खर्च करने के लिए अधिक डिस्पोजेबल आय (disposable income) बचती है। इससे उपभोक्ता मांग (consumer demand) में वृद्धि हो सकती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
व्यवसायियों को लाभ: कम ब्याज दरें व्यवसायों के लिए भी फायदेमंद होती हैं। उन्हें विस्तार, नए प्रोजेक्ट शुरू करने या कार्यशील पूंजी (working capital) की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ता लोन मिल सकता है। इससे निवेश (investment) को बढ़ावा मिल सकता है और नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।
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अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से, रेपो रेट में कटौती के कई सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:
आर्थिक विकास को प्रोत्साहन: कम ब्याज दरें निवेश और खर्च को प्रोत्साहित करके आर्थिक विकास को गति प्रदान कर सकती हैं।
तरलता में वृद्धि: RBI द्वारा बैंकों को सस्ता लोन उपलब्ध कराने से बाजार में तरलता बढ़ती है, जिससे वित्तीय प्रणाली सुचारू रूप से काम करती है।
निवेश को बढ़ावा: कम ब्याज दरों का माहौल निवेशकों को नए व्यावसायिक अवसरों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
महंगाई में कमी: RBI के लिए राहत की खबर…
हाल के महीनों में भारत में खुदरा महंगाई दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर गिरकर 3.61% पर आ गई थी, जो जनवरी में 4.26% थी।
यह सात महीनों में पहली बार RBI के 4% के लक्ष्य से नीचे आई थी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मार्च के महीने में भी महंगाई दर RBI के अनुमान से कम ही रहेगी। महंगाई में यह कमी RBI को मौद्रिक नीति को उदार बनाने और विकास को प्राथमिकता देने का अवसर प्रदान करती है।
CRR और SLR में कोई बदलाव नहीं
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) 4.50% पर बना हुआ है।
सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) 18% पर स्थिर रखा गया है।
अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर ?
- लोन सस्ते होंगे
होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI कम होगी।
बैंकों की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) घटेगी।
नए लोन लेने वालों को फायदा, पुराने लोन वालों को भी राहत मिल सकती है यदि बैंक रेट्स कम करते हैं।
- निवेश और व्यापार को बढ़ावा
कम ब्याज दरों से कारोबारियों को सस्ता कर्ज मिलेगा।
रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को फायदा होगा।
स्टॉक मार्केट में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा सकती है।
- महंगाई पर नियंत्रण
RBI ने 2024-25 के लिए महंगाई दर 4% रहने का अनुमान जताया है।
फरवरी 2024 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 3.61% थी, जो RBI के लक्ष्य से कम है।
GDP ग्रोथ और महंगाई का अनुमान
पैरामीटर: अनुमान (2024-25)
GDP ग्रोथ: 6.5%
महंगाई दर (CPI): 4%
तिमाही आधार पर GDP ग्रोथ अनुमान
पहली तिमाही (Q1): 6.5%
दूसरी तिमाही (Q2): 6.7%
तीसरी तिमाही (Q3): 6.6%
चौथी तिमाही (Q4): 6.3%
महंगाई दर का तिमाही विवरण
पहली तिमाही: 3.6%
दूसरी तिमाही: 3.9%
तीसरी तिमाही: 3.8%
चतुर्थ तिमाही: 4.4%
विश्लेषकों और बाजार की प्रतिक्रिया
अर्थशास्त्रियों का मत
अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने रेपो रेट में कटौती का अनुमान लगाया था।
सोनाली वर्मा (कॉटेज इंडिया): “महंगाई कम होने से RBI को ग्रोथ को सपोर्ट करने का मौका मिला।”
सुभाष चंद्र गर्ग (फाइनेंशियल एक्सपर्ट): “यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देगा और निवेश को प्रोत्साहित करेगा।”
शेयर बाजार पर प्रभाव
बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर के शेयरों में तेजी देखी गई।
रियल एस्टेट और ऑटो कंपनियों के स्टॉक्स में उछाल।
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क्या यह सही समय है लोन लेने का ?
RBI की रेपो रेट कटौती का मतलब है कि अब लोन की लागत कम होगी। यदि आप होम लोन, कार लोन या बिजनेस लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है। बैंक जल्द ही नई ब्याज दरों की घोषणा कर सकते हैं, जिससे आपकी EMI कम हो सकती है।
हालांकि, फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) निवेशकों के लिए यह खबर अच्छी नहीं है, क्योंकि FD रेट्स और गिर सकते हैं।
RBI की यह गति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। अगले कुछ महीनों में लोन की मांग बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है।
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