नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोकदल (RLD) फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गया है। एक समय में प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर रहे रालोद के पास इस समय पार्टी के आठ विधायक हैं और सपा के सहयोग से राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी भी राज्यसभा सदस्य बन गये हैं। इसलिए भले ही प्रदेश स्तर पर रालोद अपना फैलाव नहीं कर पा रहा है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने के प्रयासों में जुट गया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि रालोद रणनीतिकारों को यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है।
राष्ट्रीय लोकदल ने 28 जून से 16 जुलाई के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 शहरों में युवा पंचायत करने की घोषणा भी उसकी इसी रणनीति का हिस्सा है। अग्निपथ योजना के विरोध और देश व्यापी बेरोजगारी के मुद्दे को उठाने के बहाने रालोद युवाओं में अपनी पकड़ बनाने में जुटा है। इसी की शुरुआत रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने 28 जून को शामली में युवा पंचायत करके कर दी है। जयंत चौधरी ने अपनी पहली युवा पंचायत शामली के गांव काबड़ौत स्थित विद्या मंदिर हाई स्कूल के मैदान में करके की, जिसमें युवाओं को खास महत्व दिया गया।
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दरअसल युवा भी जानते हैं कि अब अग्निपथ योजना के विरोध का कोई महत्व नहीं रह गया है। केन्द्र सरकार कह चुकी है कि यह योजना वापस नहीं होगी और योजना में भर्ती होने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है, जिसमें पांच लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। केवल भाजपा और मोदी को बदनाम करने के लिए अग्निपथ योजना के विरोध की आड़ में जिन राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को आगजनी और तोड़फोड़ करने के लिए उकसाया था, उनकी सच्चाई सामने आते ही सारा मामला शांत हो गया। इसके बावजूद रालोद द्वारा अब इसका विरोध करने के लिए युवा पंचायतों का करना किसी का रास नहीं आ रहा है। रालोद को इस मामले में लेने के देने पड़ जाए, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि रालोद की यह रणनीति “आ बैल मुझे मार” वाली कहावत चरित्रार्थ होती दिख रही है।