Russia Cancer Vaccine: कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके लिए मरीज की जान बचाना आज भी बड़ी चुनौती है। कई दशकों से दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बीमारी की वैक्सीन की खोज में लगे हैं। इस बीच रूस ने कैंसर की वैक्सीन बनाने का दावा किया है। नए साल से रूस में वैक्सीन के साथ टीकाकरण भी शुरू कर दिया जाएगा। कैंसर की वैक्सीन बनाने के दावे के बाद दुनियाभर में इस बीमारी की रोकथाम और इलाज को लेकर उम्मीद की किरण जगी है। खासकर भारत जैसे देश में, जहां हर साल कैंसर के 14 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, यहां कैंसर की वैक्सीन को लेकर काफी चर्चा हो रही है। चर्चा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर रूस का दावा सही हुआ तो यह सदी की सबसे बड़ी खोज साबित होगी। इस वैक्सीन के दम पर भारत समेत दूसरे देश वैक्सीन बना सकेंगे। अगर रूस यह वैक्सीन दुनिया को उपलब्ध करा देता है, तो कैंसर की बीमारी का इलाज आसानी से संभव हो सकेगा।
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लेकिन क्या कैंसर की वैक्सीन वाकई सफल साबित होगी? इससे किस तरह के कैंसर का इलाज होगा? क्या भारत समेत दुनियाभर के मरीज ठीक हो पाएंगे? ऐसे कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने देश के कैंसर डॉक्टरों से बात की। इन विशेषज्ञों में धर्मशिला नारायण अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अंशुमान कुमार, मैक्स अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित कूपर और राजीव गांधी अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. अजीत कुमार शामिल हैं।
अब जानते हैं कैंसर वैक्सीन से जुड़े सवालों के जवाब?
सवाल: रूस की वैक्सीन कैंसर को कैसे खत्म करेगी?
डॉ. अंशुमान कहते हैं कि रूस ही नहीं, अमेरिका में भी पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन पर काम चल रहा है। ऐसी वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित होती हैं। इनमें कैंसर मरीज के शरीर में मौजूद ट्यूमर में मौजूद RNA का इस्तेमाल किया जाता है। यह वैक्सीन कैंसर के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करेगी और कैंसर कोशिकाओं में मौजूद एंटीजन को शरीर में डाला जाएगा। जिससे प्रतिरोधक क्षमता कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट कर सकेगी। डॉ. कुमार कहते हैं कि अगर रूस की वैक्सीन सफल होती है तो यह भारत समेत पूरी दुनिया के कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
सवाल: रूस की कैंसर वैक्सीन किस कैंसर के लिए है?
डॉ. रोहित कपूर का कहना है कि यह वैक्सीन कैंसर के इलाज पर काम करेगी। यानी यह ट्यूमर बनने से रोकने के लिए नहीं बल्कि कैंसर के मरीजों के लिए है। हो सकता है कि यह सभी तरह के कैंसर पर काम करे या फिर इसका इस्तेमाल सिर्फ एक या दो तरह के कैंसर के इलाज के लिए किया जा सकता है। चूंकि रूस में कोलन और ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा हैं, इसलिए संभव है कि यह सिर्फ इन्हीं कैंसर पर काम करे, लेकिन फिलहाल इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन रूस ने दावा किया है कि इस वैक्सीन को मरीज की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरीके से तैयार किया जाएगा।
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सवाल: क्या वैक्सीन लेने के बाद कीेमोथेरेपी और सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी?
हां, अगर यह वैक्सीन सफल साबित होती है, तो मरीजों को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि यह वैक्सीन कैंसर कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नष्ट कर देगी। क्या सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी? इस सवाल के जवाब में डॉ. रोहित कपूर कहते हैं कि हां, कैंसर के टीके सर्जरी की जरूरत को कम करते हैं। टीकाकरण के बाद कैंसर के दोबारा होने का खतरा भी कम हो जाता है। इस पर शोध भी उपलब्ध है। सर्जरी के दौरान कैंसर के लिए एचपीवी वैक्सीन लेने वाले मरीजों में सर्वाइकल कैंसर के दोबारा होने की दर उन मरीजों की तुलना में कम थी, जिन्होंने सर्जरी के दौरान एचपीवी वैक्सीन नहीं ली थी।
सवाल: क्या भारत समेत दुनियाभर के मरीज ठीक हो जाएंगे?
डॉ. अजीत कहते हैं कि फिलहाल यह देखना होगा कि रूस द्वारा कैंसर की वैक्सीन बनाने का दावा कितना सच है। अगर रूस में कैंसर के मरीजों को नए साल से वैक्सीन लग जाती है और यह इस बीमारी को रोकने में सक्षम है, तो इसे मेडिकल साइंस में बड़ा चमत्कार मानिए। अगर वैक्सीन सफल होती है, तो दुनिया भर के लाखों मरीजों को इसका फायदा मिल सकेगा। लेकिन फिलहाल यह देखना जरूरी है कि रूसी वैक्सीन कितनी सफल होती है। अगर वैक्सीन सफल होती है, तो इससे कैंसर के मरीजों को ठीक किया जा सकेगा।
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सवाल: क्या भारत में भी कैंसर की वैक्सीन बनाई जा सकती है?
डॉ अंशुमान इस सवाल का जवाब देते हैं। उनका कहना है कि भारत में भी कैंसर की वैक्सीन बनाई जा सकती है। भारत में कई शोध संस्थान और विश्वविद्यालय हैं जो कैंसर की वैक्सीन पर शोध कर रहे हैं। लेकिन इस दिशा में और काम किए जाने की ज़रूरत है। क्योंकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.9% हिस्सा स्वास्थ्य बजट है और उसमें से सिर्फ़ 1.2% ही शोध पर खर्च होता है। अगर इसे बढ़ाया जाए तो हम भी ऐसी वैक्सीन बना सकते हैं। भारत को ऐसा करना चाहिए। क्योंकि अगर हम विदेश से वैक्सीन मंगवाते हैं तो उसकी कीमत और खर्च बहुत ज़्यादा हो सकता है। ऐसे में आम ग़रीब लोगों के लिए वैक्सीन तक पहुँच मुश्किल हो सकती है।
सवाल: सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन तो है, लेकिन यह कैंसर काबू में नहीं आ रहा है, तो क्या रूसी वैक्सीन से उम्मीद करना सही है?
इस सवाल का जवाब डॉ. रोहित कपूर ने दिया है। डॉ. कपूर कहते हैं कि सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी वैक्सीन उपलब्ध है। भारत में भी इस वैक्सीन से टीकाकरण किया जाता है, लेकिन ज़्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। दूसरी वजह यह है कि ज़्यादातर सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन उपलब्ध नहीं है और निजी अस्पतालों में इसकी कीमत ज़्यादा है। इस वजह से लोग टीका नहीं लगवा पाते हैं। ऐसे में सर्वाइकल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि अगर रूस की वैक्सीन सफल साबित होती है और भारत इस वैक्सीन को आयात करता है या फिर देश में ही वैक्सीन का निर्माण होता है, तो लोगों को इसके बारे में जागरूक करना होगा और साथ ही वैक्सीन की कीमत भी कम रखनी होगी ताकि लोग इसे लगवा सकें।
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