Russia-Ukraine War: तीन दिन का युद्धविराम, क्या रूस-यूक्रेन में शांति की नई शुरुआत संभव है?
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच दो वर्षों से जारी भीषण युद्ध में हाल ही में एक उल्लेखनीय मोड़ आया है। रूस ने अपने राष्ट्रीय विजय दिवस के अवसर पर तीन दिन के संघर्षविराम की घोषणा की है।
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच दो वर्षों से जारी भीषण युद्ध में हाल ही में एक उल्लेखनीय मोड़ आया है। रूस ने अपने राष्ट्रीय विजय दिवस के अवसर पर तीन दिन के संघर्षविराम की घोषणा की है। यह पहल न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कुछ हद तक कम करने की कोशिश है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक उम्मीद की किरण है कि शायद यह संघर्ष एक दिन समाप्त हो सकेगा।
रूस की पहल
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विजय दिवस समारोह के मद्देनज़र यह घोषणा की कि 3 दिनों तक रूस यूक्रेन में किसी प्रकार की सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब रूस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ रहा है, और घरेलू स्तर पर भी आर्थिक प्रतिबंधों और युद्ध के दीर्घकालिक प्रभावों से असंतोष बढ़ रहा है। पुतिन ने इस संघर्षविराम को “शांति की दिशा में एक पहल” बताया, हालांकि इसमें कोई दीर्घकालिक योजना या वार्ता का संकेत नहीं दिया गया।
यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस की इस घोषणा को एक राजनीतिक चाल बताया है। उनका कहना है कि तीन दिन का संघर्षविराम केवल प्रतीकात्मक है और इससे जमीनी हालात में कोई विशेष बदलाव नहीं आएगा। इसके विपरीत, जेलेंस्की ने 30 दिन के व्यापक संघर्षविराम का प्रस्ताव रखा है, जिसमें दोनों पक्षों को सैन्य गतिविधियाँ पूरी तरह बंद करनी होंगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रूस इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करना चाहता क्योंकि वह वास्तव में युद्धविराम के लिए गंभीर नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन के 30 दिन के संघर्षविराम प्रस्ताव का समर्थन किया है और रूस से इसे स्वीकार करने की अपील की है। अमेरिका का कहना है कि इससे युद्धग्रस्त क्षेत्रों में मानवीय सहायता पहुंचाने में आसानी होगी और नागरिकों की जान बचाई जा सकेगी। वहीं भारत, जो इस युद्ध में एक तटस्थ भूमिका निभा रहा है, ने भी शांति वार्ता और कूटनीतिक समाधान की बात दोहराई है।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने भी इस संघर्षविराम का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक प्रारंभिक कदम है। वास्तविक और स्थायी शांति तब ही संभव है जब दोनों पक्षों के बीच पारदर्शी और ईमानदार वार्ता हो।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
हालाँकि यह तीन दिन का संघर्षविराम एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसकी स्थिरता पर कई सवाल हैं। क्या रूस वास्तव में युद्ध विराम का पालन करेगा? क्या यूक्रेन इसे युद्धविराम से आगे बढ़ाकर शांति वार्ता में बदल सकेगा? क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे स्थायी समाधान में बदलने के लिए पर्याप्त दबाव बना सकेगा?
युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे नागरिकों के लिए यह संघर्षविराम थोड़ी राहत जरूर लाया है, लेकिन उनकी आशाएं अब दीर्घकालिक समाधान से जुड़ी हैं। युद्ध ने लाखों लोगों को विस्थापित किया है, हजारों की जानें ली हैं और यूक्रेन की बुनियादी संरचना को बुरी तरह प्रभावित किया है।
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रूस और यूक्रेन के बीच यह तीन दिन का संघर्षविराम एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण पहल है। यह दिखाता है कि युद्ध की आग में भी कभी-कभी शांति की चिंगारी उठ सकती है। हालांकि यह सिर्फ एक शुरुआत है, लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और दोनों पक्ष मिलकर इसे एक स्थायी शांति की दिशा में मोड़ें, तो यह संघर्षविराम इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
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