Russia Ukraine war: यूक्रेन में भारतीय दवा कंपनी के गोदाम पर रूसी हमला, दूतावास ने जताई नाराज़गी
रूस ने यूक्रेन में स्थित भारतीय दवा कंपनी कुसुम फार्मा के गोदाम पर मिसाइल हमला किया, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की जरूरी दवाएं नष्ट हो गईं। भारत स्थित यूक्रेनी दूतावास ने रूस पर 'विशेष मित्रता' के दावे के बावजूद जानबूझकर भारतीय कारोबार को निशाना बनाने का आरोप लगाया। यह घटना युद्ध के बीच विदेशी निवेश की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है।
Russia Ukraine war: यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच एक चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसमें यूक्रेन में स्थित एक भारतीय फार्मा कंपनी के गोदाम को रूसी मिसाइल हमले में क्षति पहुंची है। भारत में स्थित यूक्रेनी दूतावास ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की और सोशल मीडिया के जरिए रूस पर गंभीर आरोप लगाए।
दूतावास की ओर से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा गया, “भारत के साथ विशेष संबंधों का हवाला देने वाला रूस अब जानबूझकर यूक्रेन में भारतीय कंपनियों को निशाना बना रहा है। इस हमले में उन दवाओं का नुकसान हुआ है जो खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए तैयार की गई थीं।”
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‘दोहरी नीति’ का आरोप रूस पर
यूक्रेनी प्रशासन का कहना है कि रूस एक तरफ भारत के साथ मजबूत रिश्तों का दावा करता है, और दूसरी ओर उसी भारत की कंपनियों को युद्ध में नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने इसे रूस की ‘विरोधाभासी कूटनीति’ बताया।
अब तक इस हमले में किसी के घायल होने की जानकारी नहीं मिली है, और रूस की ओर से इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
ब्रिटेन ने भी दी हमले की जानकारी
इससे पहले यूक्रेन में ब्रिटिश राजदूत मार्टिन हैरिस ने भी कीव में एक प्रमुख दवा भंडारगृह पर रूसी ड्रोन हमले की बात कही थी। उन्होंने इसे आम नागरिकों और स्वास्थ्य क्षेत्र को लक्ष्य बनाने की सोची-समझी रणनीति बताया।
राजदूत ने कहा, “दवाओं का बड़ा भंडार, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए, इस हमले में राख हो गया। रूस की यह रणनीति यूक्रेनी समाज में डर और अस्थिरता फैलाने की है।”
कुसुम फार्मा की वैश्विक मौजूदगी
भारत में स्थापित कुसुम फार्मा नामक यह दवा कंपनी वर्तमान में करीब 29 देशों में सक्रिय है। इसकी सेवाएं यूक्रेन, उज्बेकिस्तान, मोल्दोवा, केन्या, कजाकिस्तान, नाइजर, बुर्किना फासो, तंजानिया, और माली जैसे देशों तक फैली हुई हैं। कंपनी मुख्य रूप से जीवनरक्षक और सामान्य दवाओं के निर्माण में विशेषज्ञता रखती है।
युद्धविराम प्रयासों पर अड़चन
इस बीच युद्धविराम को लेकर किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय प्रयास भी ठहराव का शिकार हो रहे हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर एक पूर्ण युद्धविराम की अपील की, लेकिन रूस ने इसे ठुकरा दिया।
यूक्रेनी विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा ने बताया कि यूक्रेन शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन रूस ने बातचीत में अपनी शर्तें थोप दीं। उन्होंने दावा किया कि बीते एक महीने में रूस ने यूक्रेन पर करीब 70 मिसाइलें, 2,200 से अधिक ईरानी शाहिद ड्रोन, और 6,000 से ज्यादा एयर-गाइडेड बम बरसाए।
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यह घटना दर्शाती है कि अब यूक्रेन में विदेशी कंपनियां भी युद्ध की चपेट में आ रही हैं। एक भारतीय कंपनी पर हमला इस ओर संकेत करता है कि रूस की कार्रवाई केवल सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि मानवीय सहायता और वाणिज्यिक ढांचे भी अब खतरे में हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से रूस और भारत के रिश्तों में भी असहजता पैदा हो सकती है, वहीं वैश्विक मंचों पर रूस की निंदा और तेज़ होने की संभावना है। शांति वार्ताओं में गतिरोध और नागरिक क्षेत्रों पर हमलों ने संघर्ष को और गंभीर रूप दे दिया है।
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