Russia Luna 25 Crash: जहां एक ओर भारत का मिशन चंद्रयान 3 अपने लक्ष्य की ओर पहुंचने वाला है और चांद के बेहद करीब पहुंच गया है वहीं दूसरी ओर रूस से एक दुखद खबर सामने आयी है। जहां रूस के मून मिशन को एक बहुत बड़ा झटका लगा है। आपको बता दें की रूस का मून मिशन ‘Luna-25’ फेल हो गया है। मिली जानकारी के मुताबिक लूना-25 अपने रास्ते से भटक गया था जिसके बाद वह चांद की सतह से टकरा गया और उसने रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस से अपना संपर्क खो दिया।
दरअसल, रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) ने रविवार को बताया कि ‘लूना-25’ स्पेसक्राफ्ट चांद पर क्रैश हो गया है। इससे पहले रॉसकॉसमॉस ने बताया था की चांद की कक्षा में ‘लूना-25’ में तकनीकी खराबी आ गई थी। एजेंसी के मुताबिक “ऑपरेशन के दौरान एक असामान्य घटना घटी थी जिसकी वजह से तय मानकों में स्पेसक्राफ्ट का मैनुवर पूरा नहीं हो पाया था।” रूस को अपने इस मून मिशन Luna-25 से बहुत ही ज्यादा उम्मीदें थीं, लेकिन क्रैश होते सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गई।
आपको बता दें कि रूस ने 47 साल बाद अपना मून मिशन लॉन्च किया था। यानि 1976 के बाद ये उसका पहला मिशन था। रूस ने 1976 में अपना पहला मून मिशन लॉन्च किया था। इस साल लूना-25 को 10 अगस्त को लॉन्च किया गया था और चांद पर इसकी लैंडिंग 21 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर होनी थी। और साथ ही ये भी जानकारी मिली है कि रूस के इस मिशन में कुल 1600 करोड़ रुपये की लागत आई थी। जो की क्रैश होने के साथ ही सब बर्बाद हो गया। अभी तक 4 देश ही ऐसे है जिन्होंने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है और वो देश है अमेरिका, रूस, चीन और भारत हैं। लेकिन चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर अभी तक किसी देश ने लैंडिंग नहीं की है। इस 23 अगस्त को अगर भारत का मिशन चंद्रयान 3 दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर लैंड कर जाता है वो विश्व का पहला देश बन जायेगा।
कब टूटा था लूना-25 से संपर्क
रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) के अनुसार 19 अगस्त शनिवार को लूना-25 फ्लाइट प्रोग्राम के मुताबिक इसे लैंड करवाने के लिए पावर दी गई थी स्थानीय समय के अनुसार, 2.57 बजे लूना-25 स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूटा। इसके बाद 19 और 20 अगस्त को दोबारा स्पेसक्राफ्ट से संपर्क साधने की कोशिश की गई। लेकिन ये कोशिश नाकामयाब रही। इस तरह रूसी स्पेस एजेंसी की तरफ से मून मिशन के क्रैश होने की पुष्टि कर दी गई।
आपको बता दें कि इससे पहले साल 1976 में रूस ने लूना-24 मिशन लॉन्च किया था। और तब से रूस ने दोबारा मून मिशन लॉन्च नहीं किया था। इस साल रूस ने दोबारा लूना-25 मिशन के तौर पर चांद पर लौटने की कोशिश की लेकिन ये कोशिश सफल नहीं रही। रूसी स्पेस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, लूना-25 को 21 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी।
9 साइंटिफिक पेलोड्स लगे थे Luna-25
- STS-L: पैनारोमिक और लोकल इमेज लेने का काम करता है।
- LASMA-LR: यह एक लेजर स्पेक्ट्रोमीटर होता है।
- ADRON-LR: चांद की सतह पर न्यूट्रॉन्स (neutrons) और गामा-रे (gamma-rays) का विश्लेषण करने का काम करता है।
- THERMO-L: सतह पर गर्मी की जांच करने का काम करता है।
- ARIES-L: वायुमंडल यानी एग्जोस्फेयर पर प्लाज्मा की जांच करने का काम करता है।
- LIS-TV-RPM: ये खनिजों की जांच और तस्वीरों के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (infrared spectrometer) था।
- PmL: यह धूल और माइक्रो-मेटियोराइट्स (micro-meteorites) की जांच पड़ताल करने का काम करता है।
- BUNI: लैंडर को पावर देगा और साइंस डेटा को जमा करेगा। फिर पृथ्वी पर भेजता।
- Laser Reflectometer: चांद की सतह पर रेंजिंग एक्सपेरीमेंट्स (ranging experiments) को करने का काम करता है।
रूस का Luna-25 मिशन यूक्रेन से युद्ध के बाद पहला बड़ा मिशन
Read: चांद पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग का काउंटडाउन हुआ शुरू
आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस का ये पहला मिशन था जो किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह पर भेजा जा रहा था। हालांकि, रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) का कहना है कि हम किसी देश या स्पेस एजेंसी के साथ कोई कॉम्पीटीशन नहीं कर रहे हैं। ROSCOSMOS ने ये भी बताया कि चांद पर हमारे लैंडिंग एरिया भी अलग-अलग हैं। भारत या किसी और अन्य दूसरे देश के मून मिशन से हमारी कोई टक्कर नहीं होंगी। न ही हमारा ये मिशन किसी के रास्ते में आएगा।
ISRO से रूसी एजेंसी ने मांगी थी मदद
जापानी स्पेस एजेंसी JAXA को भी रूस ने इस Luna-25 मिशन के लिए साथ लाने की कोशिश की थी लेकिन जापान ने इस मिशन में आने से साफ़ मना कर दिया था। फिर उसने इसरो यानि इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईज़ेशन से मदद करने की अपील की थी। लेकिन यहां भी बात बनी नहीं। इसके बाद खुद रूस ने ही एक रोबोटिक लैंडर बनाने की प्लानिंग की।