Ramcharitra Manas के समर्थन में कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर के सानिध्य में निकाली ‘सनातन यात्रा’, सभी वर्गों के लोग हुए शामिल
रामायण श्रीराम का हदृय है, जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं, रामायण हमें धर्म की रक्षा करना सिखाती है, जैसे वाक्य लिखे हुये थे.यात्रा में शामिल लोगों का कहना था कि हम सभी भगवान श्रीराम को अपना अराध्य मानते हैं, सभी के घर में पवित्र रामायण-गीता हैं.
लखनऊ। रामचरित्र मानस (Ramcharitra Manas) की चौपाईयों पर उपजे ‘विवाद’ का जवाब ‘संवाद’ से देने की मंशा से हजारों हिंदुवादियों ने ‘सनातन यात्रा’ (Sanatan Yatra) निकाली. देवकीनंदन महाराज (Devkinandan Maharaj) की अगुवाई में निकली इस ‘सनातन यात्रा’ में ‘मानस’ को लेकर हो रही राजनीति को प्रदेश की राजधानी में विराम देने की कोशिश की गयी. रामायण-गीता (Ramayana-Gita) को हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ बताते हुये देवकीनंदन महाराज ने सनातनी समाज की ‘एकजुटता’ और ‘आपसी संवाद’ का आव्हान किया.
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‘सनातन सभी को जोड़ता है, इसे तोड़ने की कोशिश मत कीजिए’
रविवार की शाम कथा स्थल रामलीला दशहरा मैदान से शुरू हुई पैदल यात्रा में हिंदु संत-महंतों के साथ बड़ी संख्या में सभी वर्गों के लोग शामिल हुये. यात्रा में भारत माता और जय श्रीराम के जयकारे लगाते हुये महिला, पुरूष, बच्चे, बुजुर्ग अपने हाथों में भगवा झण्डे एवं धार्मिक विचार लिखी तख्तियाँ लेकर चल रहे थे. लखनऊ, उन्नाव, कानपुर के आसपास के जिलों से भी लोग इस यात्रा में भाग लेने के लिये पहुंचें.
‘सनातन यात्रा’ की अगुवाई कर रहे देवकीनंदन महाराज ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थवश जो लोग ‘रामचरित्र मानस’ की ‘गलत व्याख्या’ करके लोगों को भ्रमित कर रहे हैं, वे सनातन धर्म का विघटन देखना चाहते हैं. कहा कि रामायण संवाद सिखाता है इसीलिये भ्रम फैलाने वाले राजनेताओं से मिलकर उनसे ‘संवाद’ करना चाहता हूं. मैं सात दिनों तक बोलता रहुंगा कि ‘‘मुझे समय दीजिये, बात करिये, इस तरह से सनातनी एकता को तोड़ने का कार्य मत कीजिये. भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र का अपमान मत कीजिए’’
‘राम और रामायण पर ‘संदेह’ करने वालों के ‘संकल्प’ पूरे नहीं होते’
देवकीनंदन महाराज ने कहा कि जो ‘राम और रामायण’ पर संदेह करते हैं उन्हें न राम का पता है न रामायण का ज्ञान है. इतिहास जानता है कि ऐसे लोगों के संकल्प कभी पूरे नहीं होते.कहा कि सनातन धर्म और भगवान की कथा किसी एक वर्ग के लिये नहीं बल्कि सभी वर्गों के लिये है । अग्रेजों की तरह से आज सनातनियों को बांटने का प्रयास किया जा रहा है. यह ऊंच-नीच का भेद अग्रेजों ने लोगों के मन में डाला था.
‘हमारे देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है’
इससे पूर्व कथा में श्रोताओं को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि हमारे देवी-देवताओं का मजाक उड़ाया जाता है, अश्लील तस्वीर बनायी जाती हैं. फिर भी हम एक होकर विरोध नहीं कर पाते क्योंकि हम अपने स्वार्थवश टुकड़ों में बंट जाते हैं. हम किसी को मिटाना नहीं चाहते लेकिन कोई हमें ही मिटा दे, इतना भी कमजोर नहीं बनना चाहिये. तीन किलोमीटर की इस पैदल ‘सनातन यात्रा’ में सबसे आगे देवकीनंदन महाराज और साधु-संत चल रहे थे. उनके साथ ‘सुखी बसे संसार सब, दुखिया रहे न कोय, यह अभिलाषा हम सबकी, भगवन पूरी होय’ की धुन तथा राम भजनों पर भक्तों की टोलियाँ चल रही थीं. जहाँ से भी होकर यह यात्रा निकली आस-पास के लोग भी राम के जयकारे लगाते हुये इसमें शामिल हो गये.
तख्तियों पर लिखें थे एकता के सूत्र
यात्रा में शामिल लोगों ने अपनी तख्तियों पर धार्मिक संदेश लिख रखे थे. जिनमें हम सनातनी एक हैं, सनातन ही सत्य है, रामायण श्रीराम का हदृय है, जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं, रामायण हमें धर्म की रक्षा करना सिखाती है, जैसे वाक्य लिखे हुये थे.यात्रा में शामिल लोगों का कहना था कि हम सभी भगवान श्रीराम को अपना अराध्य मानते हैं, सभी के घर में पवित्र रामायण-गीता हैं. राजनेता इस प्रकार से गलत प्रचार करके हमारी आस्था को ठेस न पहुँचायें.सनातन यात्रा कथा स्थल रामलीला दशहरा ग्राउण्ड से शुरू होकर शनिदेव मंदिर से पराग चैराहा, राम मनोहर लोहिया संस्थान होते हुये पावर हाउस चाराहा नाबाई, लोकबंधु चैराहा, स्प्रिंवाडेल कॉलेज से होते हुए वापस रामलीला मैदान पर समाप्त हुई.