Indian Stock Market: 2025 में विदेशी निवेशकों की दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली, एक ही दिन में 1 अरब डॉलर के शेयर बेचे
विदेशी निवेशकों ने 2025 में अब तक की दूसरी सबसे बड़ी बिकवाली करते हुए एक दिन में 1 अरब डॉलर के शेयर बेचे।इस बिकवाली के पीछे वैश्विक अनिश्चितता, डॉलर की मजबूती और घरेलू राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारण रहे।बाजार में भारी गिरावट दर्ज हुई और निवेशकों के लिए सतर्कता बरतने का समय है।
Indian Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को बड़ी हलचल देखने को मिली जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई या एफआईआई) ने एक ही दिन में करीब 1 अरब डॉलर (लगभग 8,300 करोड़ रुपये) के शेयरों की भारी बिकवाली की। यह साल 2025 में अब तक की दूसरी सबसे बड़ी एकदिनी बिकवाली है, जिसने बाजार की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक संकेतकों में कमजोरी, अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता और तेल की कीमतों में तेजी जैसे कारकों ने एफआईआई की धारणा पर नकारात्मक असर डाला है। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर राजनीतिक अनिश्चितता और रुपये में गिरावट ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है।
बाजार पर असर: सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट
एफआईआई की इस आक्रामक बिकवाली का सीधा असर प्रमुख सूचकांकों पर पड़ा। बीएसई सेंसेक्स 800 अंक तक गिर गया, वहीं एनएसई निफ्टी में भी 250 अंकों की भारी गिरावट देखी गई। बैंकिंग, आईटी और मेटल सेक्टर के शेयरों पर सबसे ज्यादा दबाव देखा गया।
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विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया है और आने वाले दिनों में अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो बाजार में और बड़ी गिरावट आ सकती है।
बिकवाली के पीछे कारण: वैश्विक और घरेलू दोनों फैक्टर
एफआईआई की भारी बिकवाली के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं:
अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी की अटकलें।
मिडल ईस्ट में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया।
रुपये में गिरावट, जिससे डॉलर में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों को नुकसान की आशंका।
राजनीतिक अनिश्चितता: देश में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बन रहे समीकरण और नीति स्थिरता को लेकर आशंका।
इन सभी कारकों ने मिलकर विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से पूंजी निकालने के लिए प्रेरित किया।
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विश्लेषकों की राय: बाजार में सतर्कता जरूरी
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह बिकवाली अल्पकालिक है, लेकिन अगर वैश्विक स्थिति और अधिक बिगड़ती है, तो यह रुझान लंबे समय तक जारी रह सकता है। इसके साथ ही उन्होंने घरेलू निवेशकों को सावधानी से निवेश करने की सलाह दी है।
कोटक सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक आशीष खेत्रपाल के अनुसार, “एफआईआई की बिकवाली चिंताजनक जरूर है, लेकिन यह पूरी तरह से बाहरी कारकों पर निर्भर है। जब तक अमेरिका और मिडल ईस्ट में स्थिरता नहीं आती, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।”
क्या डीआईआई संभाल पाएंगे मोर्चा?
जहां एक ओर एफआईआई बिकवाली कर रहे हैं, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की ओर से कुछ हद तक खरीदारी देखने को मिली है। डीआईआई ने आईटी और फार्मा सेक्टर में कुछ महत्वपूर्ण सौदे किए हैं, जिससे बाजार में आंशिक समर्थन मिला है।
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हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक एफआईआई की बिकवाली रुकती नहीं, तब तक केवल डीआईआई के दम पर बाजार को स्थिर बनाए रखना मुश्किल होगा।
निवेशकों के लिए अहम समय
भारतीय शेयर बाजार फिलहाल अत्यधिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। एफआईआई द्वारा 1 अरब डॉलर की बिकवाली न केवल आंकड़ों में बड़ी है, बल्कि इससे बाजार की भावनाओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है।
आने वाले दिनों में निवेशकों को वैश्विक संकेतों और घरेलू राजनीतिक हालात पर पैनी नजर बनाए रखनी होगी। साथ ही, समझदारी से निवेश करना ही वर्तमान परिस्थितियों में सबसे बेहतर रणनीति होगी।
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